साल 1996 में जब भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे पर थी, तो टीम के मुख्य खिलाड़ियों में से एक नवजोत सिंह सिद्धू अचानक ही बिना किसी को बताए क्रिकेट दौरे को बीच में छोड़कर भारत लौटे आए थे। उस समय बीसीसीआई के अध्यक्ष रहे जयवंत लेले ने अब अपनी ऑटोबायोग्राफी में इस घटना के बारे में खुलासा किया हैं।
घटना के बारे में बात करते हुए जयवंत लेले ने बताया कि नवजोत सिंह सिद्धू को लग रहा था कि टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन उन्हें बार बार माँ से जुड़ी गाली दे रहे हैं, जिसके बाद उन्होंने बिना किसी को बताए ही भारत आने का फैसला लिया। इस घटना के बारे में किसी को भी नहीं पता था जिसके कारण बीसीसीआई को जांच कमेटी बिठानी पड़ी और इस जांच कमेटी में दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर भी शामिल थे।
जा सिद्धू को जांच कमेटी ने अपना बयान देने के लिए बुलाया तो उन्होंने कुछ भी जानकारी देने की जगह कहा कि ये उनकी गलती है और उन्हें सजा दे दी जाए। नतीजन यह कमेटी कोई फैसला नहीं ले सकी जिसके बाद सुनील गावस्कर ने एक तरकीब निकाली और जांच कमेटी में एक पंजाबी क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ को शामिल किया गया।
इस घटना को लेकर टीम में सचिन तेंदुलकर, कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन और अन्य खिलाड़ियों से भी बात की गई लेकिन वह भी कुछ नहीं बता पाए। दूसरी कमेटी ने जब सिद्धू को बयान देने के लिए बुलाया तो उन्होंने वहः भी यही कहा कि मेरी गलती की मुझे सजा दीजिये। जिसके बाद मोहिंदर अमरनाथ ने अकेले ही नवजोत सिंह सिद्धू से बात की।
जब मोहिंदर अमरनाथ बाहर आए तो उन्होंने कहा कि इस जांच को बंद कर दो इसमें सुनवाई जैसा कुछ नहीं हैं। अमरनाथ ने बताया कि जब सिद्धू इंग्लैंड दौरे पर थे तो अजहर उन्हें माँ के साथ जोड़कर कुछ शब्द कहते थे जिन्हें सिद्धू गाली समझ बैठे और देश लौट आए लेकिन असल में अजहर हैदराबादी में सिद्धू को शाबाशी देते थे और अपना प्यार जताते थे।
इसी ग़लतफ़हमी के चलते सिद्धू वापस भारत लौट आये। इस समय यह भी तय किया गया कि इस घटना के बारे में कोई भी आगे बात नहीं करेगा। वहीँ सिद्धू को भी अब सच्चाई पता थी और वह तब से अजहरुद्दीन के सबसे अजीज दोस्तों में से एक रहे हैं।