दो बार की विश्वकप टीम और तीन बार की आईपीएल विजेता टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने मैच फिक्सिंग पर अपनी चुप्पी डॉक्यूमेंट्री (रोर ऑफ द लायन) में तोड़ी है जो साल 2013 के आईपीएल मैच फिक्सिंग कांड पर बनी है। इसमें दिखाया गया है की कैसे इस कांड ने भारतीय क्रिकेट को हिला कर रख दिया था और फिर बाद में किस तरह चेन्नई सुपर किंग्स ने 2 साल का प्रतिबंध झेलने के बाद शानदार वापसी की।
महेंद्र सिंह धोनी ने इसके पहले एपिसोड में बताया की "2013 मेरे जीवन का सबसे मुश्किल समय था, में खुदको इतना लाचार महसूस कर रहा था जितना मैंने पहले कभी नहीं किया था। उस समय पूरे देश में सबसे ज्यादा बातें मैच फिक्सिंग के बारे में हो रही थी।"
"सजा के हकदार तो हम थे लेकिन उस समय सजा की मात्रा सबसे महत्वपूर्ण थी। अंत में हमें मालूम चला की चेन्नई सुपर किंग्स को 2 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। उस समय मेरे में मिश्रित भाव थे क्योकि आप उन चीजों को काफी ज्यादा व्यक्तिगत रूप से लेते है। एक कप्तान के तौर पर सबसे पहला सवाल यही था, टीम क्या गलत कर रही है। हाँ फ्रेंचाइजी की इसमें गलती थी लेकिन क्या खिलाड़ी भी इसमें शामिल थे? हमसे क्या गलती हुई थी, एक खिलाड़ी के तौर पर हमें इन सब से गुजरना था।"
धोखेबाजी के समय को याद करते हुए धोनी बताया कि इस दौरान उनका नाम भी इसमें काफी ज्यादा उछला था, लेकिन एक मैच को तय करने के लिए टीम के अधिकतर खिलाड़ियों की भागीदारी आवश्यक होती है।
"मेरा नाम भी फिक्सिंग की बातों में खूब आया था। मीडिया और सोशल मीडिया द्वारा ये दिखाना शुरू कर दिया गया की मैं और टीम मैच फिक्सिंग में शामिल थे। क्या ये क्रिकेट में संभव है? हा ये संभव है, क्रिकेट में कोई भी फिक्सिंग कर सकता है फिर चाहे वो अंपायर हो, बल्लेबाज ये फिर गेंदबाज हो लेकिन इसके लिए टीम के अधिकतर खिलाड़ियों का इसमें शामिल होना जरुरी होता है।"
इस डॉक्यूमेंट्री के ट्रेलर में धोनी ने मैच फिक्सिंग को किसी की हत्या से भी बड़ा अपराध बताया है।
"में आज जो भी हूँ, जो भी मैंने हासिल किया है वो सब क्रिकेट की बदौलत है। तो मेरे लिए दुनिया का सबसे बड़ा अपराध किसी की हत्या नहीं बल्कि मैच फिक्सिंग है क्योकि ये सिर्फ मुझ तक ही सीमित नहीं है। अगर में इन चीजों में शामिल होता तो ये एक बहुत बड़ा प्रभाव डालता है।"