वसीम जाफर ने रणजी ट्रॉफी 2018-19 के क्वार्टर फाइनल में गुरुवार को विदर्भ के लिए खेलते हुए दोहरा शतक बना डाला| इसी के साथ ही उन्होंने 251 फार्स्ट क्लास मैचों में अपने 19 हजार रन भी पूरे कर लिए हैं|
जिसके बाद ये कारनामा करने वाले वह भारत के पांचवें क्रिकेटर भी बन गए हैं| इसके विपरीत 40 वर्षीय तीन साल पहले, टीम में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, क्योंकि वह अपनी घुटने की चोट की वजह से लगभग 2016-17 के पूरे सीजन से चूक गए थे|
अपनी मैराथन पारी के बाद स्पोर्टस्टार से बात करते हुए जाफर ने कहा हैं कि, "मैं एक पूरे सीजन से चूक गया था और इंडियन ऑयल ने मुझे अलग कर दिया था और चाहता थे कि मैं ऑफिस में बैठूं और डेस्क पर काम करूँ| मैंने उनसे कहा कि मेरे पास अभी भी कुछ साल हैं, लेकिन वैसे भी मुझे एक टीम (पेशेवर के रूप में) की तलाश थी|"
उन्होंने कहा कि, "ऐसी कई टीमें नहीं थीं, जो रणजी ट्रॉफी में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी होने के बावजूद मुझे पाने के लिए उत्सुक थीं| इसलिए कई टीमों ने मेरी तरफ मुँह मोड़ लिया था और न कहा, जिसने मेरी आंखे खोल दी थी| मैं विदर्भ का आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे खेलने का मौका देने के लिए और मैंने पिछले साल मुफ्त में खेला था|"
जाफर जानते है कि प्रशंसा उम्र के साथ कम होगी, जो उसकी तरफ नहीं होगी| उन्होंने कहा हैं कि, "आपको सम्मान तभी मिलेगा जब आप स्कोर कर रहे होंगे, क्योंकि मैंने टीमों को मेरे प्रति अनिच्छुक होते हुए देखा है| जिस पल आप दो या तीन पारियों में फ्लॉप होते हैं, वही लोग कहने लगते हैं कि उम्र हो गयी है| यह रन हैं, जिनकी गिनती है|"