भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेले जाना वाला दूसरा वनडे आधिकारिक तौर पर इंदौर से विज़ाग में स्थानांतरित हो गया था, कई अन्य राज्य संघों ने कम्प्लीमेंटरी टिकटों के वितरण के संबंध में अपने फैसले पर खड़े हुए हैं|
दूसरी ओर, प्रशासकों की समिति (सीओए) ने इस मामले में विवशता व्यक्त की और कहा हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ख़ारिज नहीं कर सकते हैं, कम्प्लीमेंटरी टिकटों की संख्या के संबंध में एक मेजबान संघ स्टेडियम की कुल बैठने की क्षमता का 10 प्रतिशत लाभ उठा सकता है, जबकि एक अंतरराष्ट्रीय स्थिरता का मंचन करता है| इसके परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी के संबंध में बोर्ड और उसके सदस्य संघों के बीच आभासी बाधा उत्पन्न हुई है|
तदनुसार, सीओए ने प्रत्येक केंद्र के लिए बैक-अप वेन्यू रखा है, जो भारत-वेस्टइंडीज मैचों की मेजबानी करने के लिए निर्धारित किये गए है|
सीओए के प्रमुख विनोद राय ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताया हैं कि, "हमारे हाथ सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बंधे हुए हैं| यह हमारी रचना नहीं है| जब इस पर चर्चा करने का मौका था, तो पहले लोढा समिति के साथ और फिर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, उन्होंने (राज्य संघ) इस मामले को नहीं उठाया| अब भी स्पष्टीकरण (बीसीसीआई के कार्यकारी सचिव) अमिताभ चौधरी और टीएनसीए ने (नए संविधान में कुछ खंडों के संबंध में) इस बात को शामिल नहीं किया है|"
उन्होंने कहा हैं कि, "खेल जारी है| हम एक खेदजनक आंकड़ा नहीं हटा कर सकते हैं| अगर कुछ संगठन सहयोग करने का फैसला नहीं करते हैं, तो हमें विकल्पों को देखना होगा| बैक-अप वेन्यू हैं| अगर वे (एमपीसीए) ने सीईओ (इंदौर मैच के संबंध में) से बात की थी, तो उन्होंने उन्हें समाधान प्रदान किया होगा| हम हमेशा चर्चा के लिए खुले रहते हैं| समाधान को हल करने की इच्छा होनी चाहिए|"