भारतीय महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने माननीय डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर की उपाधि को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है, जिससे की उन्हें 24 दिसंबर को जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) द्वारा उनकी 63वें वार्षिक समारोह में सम्मानित किया जाना था|
News18 से बात करते हुए, विश्वविद्यालय के कुलपति सुरंजन दास ने बताया हैं कि हाल ही में एक ईमेल में तेंदुलकर ने सूचित किया है कि वह "नैतिक कारणों के चलते" इसे स्वीकार नहीं कर पाएंगे|
जब तेंदुलकर से इसके बारे स्पष्टीकरण माँगा गया तो, उन्होंने कहा कि वह किसी भी विश्वविद्यालय से इस समय कोई भी सम्मान स्वीकार नहीं करना चाहते है और इससे पहले उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय को भी इसके लिए मना कर दिया था|
दास ने कहा हैं कि, "वास्तव में तेंदुलकर का क्या मतलब था कि वह उसने इसे स्वीकार नहीं करना चाहते हैं| लेकिन शायद उन्हें लगता है कि उनके लिए डॉक्टर लिटरेचर की उपाधि को स्वीकार करना नैतिक रूप से गलत होगा|"
सचिन के इस उपाधि को स्वीकार न करने की खबर सुनने के बाद राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी, जो कि जेयू के कुलपति भी हैं, ने यह निर्णय लिया हैं कि अब इस उपाधि से सचिन की बजाय भारतीय ओलंपिक बॉक्सर मैरी कॉम को सम्मानित किया जाएगा|
मैरी कॉम पांच बार विश्व एमेच्योर बॉक्सिंग चैंपियन रह चुकी हैं और साल 2014 एशियाई खेलों और 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक भी जीत चुकी हैं|
मैरी कॉम के अलावा, टाटा मेडिकल सेंटर के हेमेटोलॉजिस्ट और निदेशक डॉ मम्मेन चंडी, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री कौशिक बसु, बैंकर चंद्रशेखर घोष को भी ये उपाधि प्राप्त होगी| इसके अलावा, आण्विक जीवविज्ञानी दीपंकर चटर्जी को माननीय डी एससी की उपाधि दी जाएगी|
निश्चित रूप से जेयू के छात्रों को तेंदुलकर के इस फैसले से निराशा हुई होगी, क्योंकि वे अपने परिसर में मास्टर ब्लास्टर को देखने के लिए निश्चित रूप से उत्सुक होंगे|