न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बीसीसीआई ने खिलाड़ियों के वर्कलोड से निपटने के लिए ट्रैक करने के लिए जीपीएस का इस्तेमाल करने पर विचार कर रहा हैं | बोर्ड अपने 50 खिलाड़ियों के वर्कलोड पर ध्यान रखेगा और वे इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए जीपीएस का उपयोग करेंगे |
अतीत में केवल ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम पर ही इस तकनीक का उपयोग किया गया था, जबकि भारतीय क्रिकेट टीम ने अभी तक इस तकनीक का उपयोग नहीं किया है, हालाँकि भारतीय हॉकी टीमों ने खिलाड़ियों के वर्कलोड को ट्रैक करने के लिए सफलतापूर्वक जीपीएस का उपयोग किया है | भारतीय फुटबॉल टीम ने भी इसका इस्तेमाल करने की भी कोशिश की है |
साथ ही बीसीसीआई इन जीपीएस चिप्स का इस्तेमाल फ्रिंज खिलाड़ियों पर भी करने की योजना बनाई हैं | खबरों के अनुसार, घरेलू क्रिकेट में खेलने के दौरान भी पूर्व भारत 'ए' खिलाड़ी इस चिप का इतेमाल करेंगे | टीम इंडिया के फिजियो पैट्रिक फरहत और प्रशिक्षक शंकर बासु खिलाड़ियों की प्रगति पर कड़ी निगरानी भी रखेंगे |
टीम इंडिया के खिलाड़ी इस जीपीएस चिप्स को पहनेंगे, जो कि उनके किट से जुडी होगी | इस चिप्स से मैच और प्रशिक्षण सत्र के दौरान फिटनेस के बारे में लाइव अपडेट मिलेगी | बोर्ड इस वर्ष जुलाई और अगले साल की जनवरी के बीच 13 टेस्ट मैच खेलने वाली है | वेस्टइंडीज की मेजबानी करने से पहले भारत को इंग्लैंड का दौरा करना हैं | फिर उन्हें ऑस्ट्रेलिया के साथ एक और कठिन दौरा करना हैं |जिसमें टीम इंडिया को 13 टेस्ट के अलावा कई वनडे मैच भी खेलने है |
इस तरह की स्तिथि में, खिलाड़ियों को घायल होने से बचाने के लिए इस तरह की पहल की शुरुआत करना काफी आवश्यक है | रिपोर्ट के अनुसार बोर्ड के सूत्र ने बताया हैं कि, "जीपीएस लाइव अपडेट देगा और यहां तक कि यदि गेंदबाज की रन-अप गति सामान्य की तुलना में कम हो जाती है, तो यह तत्काल सिग्नल भी देगा | जिसके बाद कप्तान उसी के अनुसार अपनी योजना बना सकता है और समझ सकता है कि उसे आराम करना हैं की नहीं |"
उन्होंने आगे कहा हैं कि, "टीम प्रबंधन चोटों से बचने के लिए कदम उठाने के लिए एकत्रित डेटा का उपयोग भी कर सकता है | साथ ही घरेलू खिलाड़ियों को भी ट्रैक किया जाएगा | इस तरह से यह मूल रूप से खिलाड़ियों के ऊर्जा-स्तर को भी ट्रैक करेगा |"