"भारत ने बन्दुक की गोली का चकमा दिया है" शोएब अख्तर का ये ट्वीट पूरी तरह से अफगानिस्तान के खिलाफ भारत की स्थिति के साथ मिलता है| हालाँकि मैच में जसप्रीत बुमराह की शानदार गेंदबाजी और अंतिम ओवर में मोहम्मद शमी की हैट्रिक ने टीम को 11 रनों से एक नजदीकी जीत दिला दी और भारत ने जीत का सिलसिला जारी रखा| लेकिन क्या होता जब बुमराह मोहम्मद नबी के सामने अग्रेसिव गेंदबाजी नहीं करते ?
49वें ओवर में नबी को योर्कर गेंदों से नहीं रोका जाता या फिर अंतिम ओवर में शमी अच्छी गेंदबाजी नहीं करते तो ऐसे में ये भारत का मध्यमक्रम ही होता जिस पर शनिवार को हार का ठीकरा फोड़ा जाता|
भारत ने अफगानिस्तान के खिलाफ 8 विकेट के नुकसान पर 224 रन बनाए थे जो बेहद कम था, जबकि पिच बल्लेबाजों के अनुकूल थी| विराट कोहली, जिन्होंने इस टूर्नामेंट में लगातार तीसरा अर्द्धशतक बनाया था, को छोड़ दे तो किसी भी बल्लेबाजी ने जोश से बल्लेबाजी नहीं की| उनके अलावा सभी खिलाड़ी पाकिस्तान के स्पिन गेंदबाजों का शिकार बने|
स्पिन गेंदबाजों ने ही भारत के टॉप 5 बल्लेबाजों को पवैलियन का रास्ता दिखाया| जो भी हुआ हो लेकिन लोकेश राहुल के 30 रन पर और रोहित शर्मा के 1 रन पर आउट होने के बाद टीम के मध्यमक्रम ने कप्तान और टीम प्रबंधन की चिंताए बढ़ा दी है|
इस स्थिति में भारत अब ऋषभ पंत को वेस्टइंडीज के खिलाफ मौका देने की सोच सकता है| जहाँ वो अपनी बाएँ हाथ की बल्लेबाजी से जहाँ टीम के लिए एक्स फैक्टर बन सकते है तो मध्यमक्रम में टीम के लिए तेजी से रन भी बना सकते है| हालाँकि भारत के पास अनुभवी दिनेश कार्तिक भी है जिन्हें पहले टीम में ऋषभ पंत से भी ऊपर दर्जा दिया गया था|
दूसरी टीम में रविन्द्र जडेजा जैसा आलराउंडर भी मौजूद है जो साउथहैम्पटन जैसी पिचों पर आसानी से गेंद को घुमा सकते थे| इसके साथ ही जडेजा की फील्डिंग की काबिलियत किसी से छुपी नहीं है| बाएँ हाथ की विस्फोटक बल्लेबाजी और उन्हें निचले ऑर्डर के लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी साबित करती है|
हालाँकि ये काफी मुश्किल है की कोहली एक साथ टीम में 2 बड़े बदलाव करे| लेकिन अपने मध्यमक्रम को मजबूत बनाने के लिए वो बैंच पर बैठे खिलाड़ियों का इस्तेमाल भी कर सकते है|