मेरठ की कुछ कम्पनियां तो अब खेल के सामान छोड़कर अस्पतालों के लिए पीपीई किट्स बना रही हैं क्योंकि इस समय इनकी डिमांड उत्पादन से कहीं अधिक हैं।
कोरोना वायरस और उसके कारण लगे लॉकडाउन के चलते पूरे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई हैं लेकिन इसकी सबसे ज्यादा मार खेलों और इसका सामान बनाने वाली कम्पनियों पर पड़ी हैं। वायरस के चलते लोगों की सुरक्षा को देखते हुए सभी प्रकार के खेल कार्यक्रमों रोक दिया गया हैं और इन दिनों होने वाला खेल का सबसे बड़ा कार्यक्रम आईपीएल भी स्थगित हो चुका हैं।
नतीजन इन खेलों का सामान बनाने वाली अधिकतर फैक्ट्रीयों को अभी के लिए बंद कर दिया गया हैं जिसके कारण खेल और फिटनेस उद्योग को अब तक 600-700 करोड़ का नुकसान हो चुका हैं। हालांकि स्थिति अभी इतनी खराब नहीं हैं लेकिन आगामी समय में हालात और भी बिगड़ सकते हैं।
मेरठ की एसजी कम्पनी, जो बीसीसीआई को लाल और गुलाबी गेंद की सप्लाई करती हैं, के मालिक पारस आनंद ने बताया कि देश में खेल उद्योग का सालाना राजस्व लगभग 2,500 करोड़ रुपए हैं जिसका सबसे ज्यादा हिस्सा मार्च से मई के दौरान ही आता हैं। लेकिन इस वर्ष लॉकडाउन और वायरस के चलते सबकुछ ठप पड़ा हैं।
भारत में खेल के सामान बनाने वाली कई विदेश में भी सामान भेजती है लेकिन इस बार का भेजा हुआ सामान अभी भी गोदामों में पड़ा हैं और खेल गतिविधियाँ कब शुरू होंगी और उनमे से कितना सामान सप्लाई होगा अभी इसका कोई अनुमान भी नहीं हैं।
यहां तक की मेरठ की कुछ कम्पनियां तो अब खेल के सामान छोड़कर अस्पतालों के लिए पीपीई किट्स बना रही हैं क्योंकि इस समय इनकी डिमांड उत्पादन से कहीं अधिक हैं, जिसके कारण सरकार ने इन खेल कम्पनियों को भी अब पीपीई किट्स बनाने का आर्डर दिया हैं।