भुवनेश्वर कुमार, सचिन तेंदुलकर को रणजी ट्रॉफी में डक आउट करने वाले इकलौते गेंदबाज हैं।
जनवरी 2009 में 18 वर्ष के भुवनेश्वर कुमार क्रिकेट के फैंस के बीच चर्चा का विषय बन गए क्योंकि उन्होंने क्रिकेट दिग्गज सचिन तेंदुलकर को रणजी ट्रॉफी में पहली बार डक आउट किया था। उस समय उत्तर प्रदेश की रणजी टीम का हिस्सा रहे भुवनेश्वर कुमार आज क्रिकेट के तीनो प्रारूपों में भारतीय टीम की तेज गेंदबाजी का प्रमुख हिस्सा हैं।
हाल ही में सनराइजर्स हैराबाद टीम के साथी खिलाड़ी डेविड वॉर्नर के साथ इन्स्टाग्राम पर लाइव चैट के दौरान भुवनेश्वर ने अपनी यादों को ताजा करते हुए बताया कि सचिन तेंदुलकर को आउट करने के बाद उनका आत्मविश्वास बहुत बढ़ गया था। वार्नर ने भुवनेश्वर से पूछा कि क्या चीज उन्हें खेल के बारे में इतना जुनूनी बनाती हैं।
इसके जवाब में भुवनेश्वर ने कहा, "आप भारत में हमेशा अपना क्रिकेट गलियों से शुरू करते हैं। यही से आपको इसका जूनून मिलता हैं। जब मेरा चयन प्रथम श्रेणी टीम में हुआ, मेरा सपना यही से शुरू हुआ। मैं हमेशा भारत के लिए खेलना चाहता था लेकिन पता नहीं था कि मौका मिलेगा या नहीं।"
"मैंने अपना काम जारी रखा और रास्ता बनता गया। खिलाड़ियों की इतनी ज्यादा संख्या होने के चलते मौका मिलना मुश्किल था लेकिन मेरा सपना सच हुआ। मेरे लिए ये बताना थोड़ा मुश्किल हैं कि मुझे जूनून कहाँ से मिला लेकिन मुझे लगता हैं ये शुरू से हैं," भुवनेश्वर ने कहा।
वॉर्नर ने भुवनेश्वर से पूछा कि सचिन तेंदुलकर को आउट करने के बाद उनके करियर में क्या बदलाव आया तो भुवनेश्वर ने कहा, "रणजी ट्रॉफी में वह सचिन की एकमात्र डक थी। अगर कोई युवा खिलाड़ी आज विराट को 0 पर आउट करे या 0 नहीं भी हो, यह उसके आत्मविश्वाश को जरुर बढ़ा देगा। तो हां, मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। उस विकेट के बाद मुझमें बहुत आत्मविश्वास आ गया था। जब भी में किसी और को गेंदबाजी करता था तो मुझे लगता था कि में उसे आउट कर सकता हूं," भुवनेश्वर ने कहा।