हाल ही में क्रिकबज के साथ बातचीत में श्रेयस अय्यर के पिता ने बताया की कैसे श्रेयस अय्यर को मुश्किल समयों से गुजरना पड़ा।
अधिक चिंता करने वाले माता पिता अक्सर अपने बच्चों का भला करने की कोशिश में उनका नुकसान कर बैठते हैं, लेकिन कुछ समझदार लोग अपने बच्चों के गिरते प्रदर्शन के पीछे के कारणों की तलाश करते हैं।
संतोष अय्यर भी एक ऐसे ही पिता हैं, जिन्होंने समझा कि उनके 16 साल के बेटे श्रेयस को डांट-फटकार से ज्यादा काउंसलिंग की जरूरत थी क्योंकि वह अपने जूनियर क्रिकेट के दिनों में गिरते प्रदर्शन के कारण काफी असुरक्षित महसूस करने लगे थे।
हाल ही में क्रिकबज के साथ बातचीत में श्रेयस अय्यर के पिता ने बताया की कैसे श्रेयस अय्यर, जो अब भारत के नंबर 4 बल्लेबाज बन चुके हैं, को मुश्किल समयों से गुजरना पड़ा।
"जब श्रेयस 4 साल का था, हम घर में प्लास्टिक की गेंद से क्रिकेट खेला करते थे। उस समय भी वह गेंद का सामना ऐसे करता था जिससे मुझे यह समझने में देर नहीं लगी की उसमे एक अलग कला हैं। इसलिए हमने वह सब किया जो उसे अपने सर्वश्रेष्ठ पर ला सकता था," संतोष अय्यर ने कहा।
जब श्रेयस मुंबई के लिए अंडर-16 में खेल रहे थे, उनके प्रदर्शन में गिरावट आई। उनके एक कोच ने बताया कि यह क्रिकेट पर ध्यान न देने की वजह से हो रहा हैं, जिसने उनके पिता को चिंता में डाल दिया।
"जब एक कोच ने मुझसे कहा कि आपके बेटे में प्रतिभा हैं, लेकिन उसका ध्यान रास्ते से भटक गया हैं, मैं थोड़ा चिंता में पड़ गया। मुझे लगा की या तो वह प्यार में पड़ गया हैं, या फिर गलत संगत में रह रहा हैं।"
यह लगभग 8-9 वर्ष पहले की बात हैं जब मानसिक स्वास्थ्य पर इतना ध्यान नहीं दिया जाता था। इस समय पर अधिकतर माता पिता का जोर इसी पर होता था की उनका बच्चा कैसे भी कुछ कर पाए लेकिन श्रेयस के पिता ने उसे एक खेल मनोवैज्ञानिक के पास ले जाने का निर्णय किया।
"यहां मुझे बताया गया कि चिंता की कोई बात नहीं हैं। बाकि अन्य क्रिकेटरों की तरह ही श्रेयस भी बस एक बुरे समय से गुजर रहा हैं। यक़ीनन वह कुछ समय बाद अपनी फॉर्म में वापसी करेगा और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखेगा," संतोष अय्यर ने कहा।
श्रेयस अय्यर अब तक भारत के लिए 18 वनडे मैचों में 748 रन बना चुके हैं और इस दौरान उनका औसत लगभग 50 का रहा हैं। अय्यर के नाम 8 अर्द्धशतक और एक शतक भी दर्ज हैं।