आईसीसी के अनुसार वह अब तक 12 मैचों में इस नियम को लागू कर चुके हैं और यहाँ सभी फैसले सही साबित हुए हैं।
क्रिकेट में मैदान पर नो बॉल को न पहचान पाने की गलतियाँ अंपायर से अक्सर हो जाती हैं, जिनके कारण कई बार मैच के परिणाम पर भी बड़ा प्रभाव पड़ता हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इसी तरह की बढ़ती घटनाओं को देखकर खेल में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए आईसीसी ने कुछ समय पहले एक नया नियम शुरू किया गया था, जिसे भारत और वेस्टइंडीज के बीच सीरीज के दौरान टेस्ट भी किया गया था।
इस नियम के आने से पहले नो बॉल की जांच मैदान पर खड़े अंपायर ही करते थे, लेकिन अब हर गेंद के लिए गेंदबाज के फ्रंट फूट की जांच तीसरे अंपायर करेंगे और फिर नो बॉल होने पर मैदान पर खड़े अंपायर को जानकारी देंगे। इस सूरत में मैदान पर खड़े अंपायर बिना तीसरे अंपायर के इस निर्णय को नहीं ले पायेंगे, साथ ही नो बॉल को पहचानने में भी आसानी होगी।
नो बॉल से जुड़ी गलतियों का सबसे बड़ा असर टी-20 मैचों पर पड़ता हैं, जहाँ एक गलत निर्णय भी मैच का परिणाम बदल देता हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए आईसीसी ने अब इस नियम को महिला टी-20 विश्वकप में इस्तेमाल करने का भी निर्णय किया हैं। आसीसी के अनुसार उन्होंने अब तक 12 मैचों में इस तकनीक का इस्तमाल किया हैं और इस दौरान एक भी गलत निर्णय नहीं लिया गया हैं।