क्राइस्टचर्च हमले के उस डर और दहशत को श्रीनिवास चंद्रशेखरन ने किया बयां

By Pooja Soni - 18 Mar, 2019

बांग्लादेश क्रिकेट टीम के प्रदर्शन विश्लेषक श्रीनिवास चंद्रशेखरन ने न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में हेगले ओवल मैदान के करीब स्थित मस्जिद में हुए हमले के उस हाल को बयान किया हैं, जिसके सुनकर निश्चित ही सभी के रोंगटे खड़े हो जायेंगे|

इस हमले में बांग्लादेशी खिलाड़ी सही-सलामत बच निकले| टीम की बस इस घटना स्थल से कुछ मीटर ही दूर थी| खिलाड़ियों ने गोली चलने की आवाज सुनी और कुछ क्षण बाद एक महिला को गिरते हुए देखा| कुछ खिलाड़ी घायल महिला की मदद करना चाहते थे, लेकिन तब ही उन्होंने मस्जिद से डरे हुए लोगों को बाहर निकलते हुए देखा जिनमें से कुछ के  शरीर से खून बह रहा था| भारत के चंद्रशेखरन भी इसी बस में थे|

घबराहट और अराजकता की उस घड़ी में श्रीनिवास ने कुछ ऐसा किया, जिससे टीम को हौसला मिला| उस दौरान बांग्लादेश की टीम मस्जिद में नमाज़ के लिए पहुँची थी| खालिद अहमद वह खिलाड़ी थे, जिसके साथ थोड़ी ताल-मेल की कमी थी, क्योकि उन्होंने लम्बा सलवार-कुर्ता पहना हुआ था (बंगला में इस पोशाक को 'पंजाबी' के नाम से जाना जाता है) जब श्रीनिवास ने अपनी जैकेट उतार दी और खालिद को पहनने के लिए कहा| तो खालिद ने कहा था कि "मैं ठीक हूँ|" इसके बाद श्रीनिवास ने बताया कि, "मैं एक टी-शर्ट में था, डर था कि अगर शूटर बाहर आया या कुछ और देखा और पंजाबी में खालिद को देखा, तो क्या होगा| मुझे लगा कि अगर वह जैकेट में होता तो बेहतर होता|"

श्रीनिवास के साथ ही तमीम इक़बाल भी थे| उस भयावह दोपहर के इस मंज़र को देख तमीम ने चिल्लाते हुए कहा था कि, "नीचे उतरो, सब लोग, फर्श पर लेट जाओ|" और वे सभी नीचे लेट गए| "तमीम और रियाद (महमूदुल्लाह) सामने थे और उन्होंने देखा कि क्या हो रहा है|"
 
कुछ समय पहले, श्रीनिवास, जो आमतौर पर बस के पीछे खिड़की की सीट पर बैठते थे, ने मुसीबत की पहली झलक देखी थी| उन्होंने अचानक एक महिला को टहलते हुए देखा, जब वह अचानक जमीन पर गिर गई| उन्होंने बताया कि, “मुझे लगा कि वह बेहोश हो गई है| हमने तुरंत उसकी मदद के लिए बस को रोक दिया| मैंने एक लड़के को देखा, जो उसके साथ था, उसे उठाकर जब मैंने देखा कि खून बह रहा है| तब हमे महसूस हुआ कि कुछ तो गड़बड़ हैं| फिर जल्द ही, तमीम हमें नीचे उतरने के लिए चिल्ला रहे थे|"

हमले के दो रात बाद, श्रीनिवास को अभी तक ठीक से सो नहीं पा रहे हैं| वह रविवार रात को ही मुंबई में अपने परिवार के साथ भारत पहुँच जायेंगे| बांग्लादेश का कोई भी खिलाड़ी ठीक से नहीं सो पाया|  हमले की रात, उन्हें 4 से 5 बजे तक कप्तान के कमरे में रखा गया, जो अपने व्यक्तिगत कमरे में जाने में असमर्थ थे| उन्होंने बताया कि, “अगर हम अकेले होते, तो क्या करते और मेरा मन बस आतंक के बारे में उस दृश्य को भूलना चाहता हैं| हमने महसूस किया कि अगर हम एक समूह के रूप में एक साथ रहे तो बेहतर होगा|"

जहाँ बस रुकी थी, वे मस्जिद के पीछे की गली को देख सकते थे| “लगभग 50 से 60 लोग भाग रहे थे| हर जगह डर था|"  यहाँ तक ​​कि जब खिलाड़ी फर्श पर लेते हुए थे, तो तमीम ने क्रिकइन्फो के साथ मोहम्मद इसम नामक एक पत्रकार को वहाँ बुलाया, जिन्होंने खिलाड़ियों को मस्जिद से बाहर निकलते देखा था, लेकिन इसम ने सोचा कि वह मजाक कर रहा हैं| तमीम ने उसे फिर से फोन किया और उसे बताया, "शोर सुनो|"  

श्रीनिवास ने बताया कि किसी ने सुझाव दिया था कि खिलाड़ियों को बस के पिछले दरवाजे से नीचे उतरना चाहिए और भाग जाना चाहिए| यह अस्वीकार्य था, "क्योंकि हमें यकीन नहीं था कि कितने हमलावर थे| क्या होगा अगर कोई हुआ तो और हम सीधे उसी कि तरह भाग गए तो?" बस आगे नहीं बढ़ी क्योंकि सामने और पीछे खड़ी कारें थीं, और इसलिए यह तय किया गया था कि सभी को बस में ही रहना चाहिए|

यह भाग्यशाली था कि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने में देरी हो गई, जिसने शायद उस दिन खिलाड़ियों को बचा लिया| श्रीनिवास ने याद करते हुए बताया कि टीम 10 मिनट पहले ही निकलने के लिए तैयार हो रही थी लेकिन हमे बताया गया कि महमुदुल्लाह की निर्धारित प्रेस कॉन्फ्रेंस में 10 मिनट की देरी हुई थी|

“इसलिए, हमने ड्रेसिंग रूम के अंदर फुटबॉल खेला और उनके आने का इंतजार किया| भगवान का शुक्र है, प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी काफी सवाल पूछे गए|"

श्रीनिवास ने बताया कि, "डर और दहशत की भावना में हमने जो कुछ भी किया, उसके बारे में अब मैं विवरण याद नहीं कर सकता| मुझे याद है कि तमीम और मुसफिकुर रहीम चिल्लाते हुए कहा था कि 'भागते नहीं हैं, भागते नहीं हैं, अंदर ही रहो|' टीम में बहुत सारे युवा खिलाड़ी थे|"

उनमें से अठारह उस दोपहर को उस मस्जिद में गए थे| योजना यह थी कि उनमें से दो, श्रीनिवास और सौम्या सरकार, मस्जिद के बाहर खिलाड़ियों को छोड़ देंगे और टीम होटल के लिए एक टैक्सी लेंगे| उन्होंने बताया कि, "वास्तव में, जब मैं एक टी-शर्ट और शॉर्ट्स में उस बस में चढ़ा, तो एक पत्रकार ने मुझे बताया था कि मैं शॉर्ट्स में मस्जिद में नहीं जा सकता और मैंने जवाब दिया, 'मैं केवल तभी जाऊंगा जब किसी के पास एक ट्रैक पैंट होगा, नहीं तो मैं सौम्या के साथ होटल वापस आ जाऊंगा| इसलिए मुझे लगता है कि टीम में से 16 खिलाड़ी अंदर गए होंगे|"

By Pooja Soni - 18 Mar, 2019

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