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 गुंडप्पा विश्वनाथ ने कहा कि अजीत वाडेकर को उनकी बल्लेबाज़ी देखना पसद था

गुंडप्पा विश्वनाथ ने कहा कि अजीत वाडेकर को उनकी बल्लेबाज़ी देखना पसद था

By Pooja Soni - 31 Aug, 2018

भारत के रियल 'लिटिल मास्टर' गुंडप्पा विश्वनाथ ने भारत को इंग्लैंड में 1971 में मिली पहली टेस्ट जीत को याद करते हुए अजीत वाडेकर, जिनका 15 अगस्त को कैंसर के चलते 77 वर्ष की उम्र में निधन हो गया, की श्रद्धांजलि पर उनको याद किया|

The Hindu की रिपोर्ट के अनुसार पुरानी यादो को ताज़ा करते हुए विश्वनाथ ने कहा हैं कि, "अजीत ने मुझे बताया कि पहले जो मैंने किया वह उसके बारे में परेशान नहीं थे और वह मुझे ड्रेसिंग रूम में नहीं देखना चाहता थे, जब तक कि स्कोरबोर्ड पर वे रन न दिख जाए, जिन्हें जीत के लिए स्कोर किया जाना था| अगर यह मज़ाक था, तो मुझे नहीं पता था और मुझे नहीं पता था कि इसे कैसे स्वीकार करना हैं| वह ओवल टेस्ट को किसी भी तरह जीतना चाहते थे|"

जब भारत को जीत हासिल करने के लिए तीन रनो की जरुरत थी, तब विश्वनाथ 33 रन बनाकर आउट हो गए थे| उन्होंने कहा कि, "मुझे बिना सीमा पर हिट किये एक पारी में पहले 30 रनों को स्कोर करना याद नहीं था, लेकिन यहां मैंने बिना सीमा को हिट किये 33 रन बनाए| शायद क्योंकि अजीत ने मुझे बताया कि मैं इसे सिंगल्स में कर सकता हूँ| वह हमेशा मुझे 'विषयदा' कहते थे और उस अवसर पर उन्होंने कहा, 'विषयदा, मुझे आपसे रन चाहिए| ऐसे लोग हैं जो रन बना रहे हैं, लेकिन मुझे आपसे रन चाहिए, क्योंकि मैं आपको खेलता हुआ देखना चाहता हूँ| मुझे आपकी बल्लेबाज़ी पसंद हैं| मैं उस बल्ले को देखकर बड़ा हुआ|"

"भले ही मैंने बॉम्बे के खिलाफ खेला और मेरी टीम जीतना चाहती थी, मैं देखना चाहता था कि अजीत ने कितना स्कोर किया था| भारत के लिए खेलने से पहले उनके दवारा बनाए गए रनों की संख्या अविश्वसनीय थी| उन्हें भारत के लिए खेलने के लिए बहुत देर से चुना गया था| वह इतनी आसानी से खेले, कोई उनका पीछा नहीं कर पाया था, वह सिर्फ गेंद का मार्गदर्शन कर रहे थे| वह अब तक के सबसे अच्छे बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों में से एक है|"
 
उन्होंने आगे कहा कि, "चंद्र हमेशा कहते थे, "मैं उसे (अजीत) कभी गेंदबाजी नहीं कर सकता हूं| "वह बहुत ही शानदार था| मुझे नहीं पता था कि वह बचाव कर रहा था या स्ट्रोक खेल रहा था, गेंद सीमा पर दौड़ रही थी | मैं हमेशा उसे याद करता रहूंगा|"

By Pooja Soni - 31 Aug, 2018

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