यो-यो टेस्ट के जनक जेन्स बंग्सबो ने भारतीय टीम के स्तर को काफी कम बताया

By Akshit vedyan - 28 Jun, 2018

टीम इंडिया के खिलाड़ियों के यो-यो परीक्षण का मुद्दा आयरलैंड और इंग्लैंड के दौरे से पहले चर्चा का विषय रहा| इस की वजह से भारतीय खिलाड़ियों की फिटनेस भी एक बड़ा मुद्दा बन के उभरी है|

जेन्स बंग्सबो, जिन्होंने पहली बार खिलाड़ियों की फिटनेस का पता लगाने के लिए खेलों में यो-यो परीक्षण शुरू किया है, अब खिलाड़ियों की फिटनेस निर्धारित करने के लिए एक और संस्करण पेश करने जा रहे है।

डेनमार्क से अपने मोबाइल पर विशेष रूप से बोलते हुए 61 वर्षीय डॉ जेन्स बंग्सबो (पीएचडी) मानव फिजियोलॉजी और व्यायाम फिजियोलॉजी ने कहा "यह सिर्फ एक और आवेदन है। खिलाड़ियों को केवल 5 मिनट में ही थकावट तो नहीं चल रही है और दिल की दर मापी जाती है। यह एक ऐसा  संस्करण है जो खिलाड़ी के फिटनेस विकास को देखने के लिए एक बहुत ही उपयोगी परीक्षण है।"

उन्होंने कहा "यो-यो परीक्षण शुरुआती नब्बे के दशक में विकसित किए गए थे, क्योंकि उस अभ्यास पैटर्न वाले खेलों में उचित परीक्षणों की कमी थी। परीक्षण का प्रदर्शन इसमें शामिल दूरी को पूरी करने के रूप में किया जाता है। प्रत्येक शटल के बीच, 5-औग 10-सेकेंड होता है, शेष अवधि और प्रतिभागी परीक्षा में फेल हो जाता अगर वह दो बार शटल को पूरा समय में पूरा करने में सक्षम नहीं होता है|”

जब पूछा गया कि एशियाई खिलाड़ियों के लिए आदर्श स्तर क्या है?  बंग्सबो कहते हैं, "मैं फुटबॉल खिलाड़ियों के संदर्भ मूल्यों से अवगत हूं, लेकिन 16.1 का स्तर भारतीय खिलाड़ियों के लिए कम है।"

By Akshit vedyan - 28 Jun, 2018

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