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 बिशन सिंह बेदी और दिलीप वेंगसरकर ने आईसीसी के क्रिकेट में टॉस को खत्म करने के विचार को बताया गलत

बिशन सिंह बेदी और दिलीप वेंगसरकर ने आईसीसी के क्रिकेट में टॉस को खत्म करने के विचार को बताया गलत

By Pooja Soni - 18 May, 2018

हमेशा से ही क्रिकेट में टॉस करने की परंपरा बहुत ही अहम रही है, लेकिन यदि क्रिकेट में से इस परंपरा को ही ख़त्म कर दिया जाए तो फिर क्या होगा |

खबरों के अनुसार आईसीसी साल 2019 में होने वाली विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप में से टॉस करने की परंपरा को समाप्त करने की योजना बना रहा हैं | आईसीसी की क्रिकेट समिति, मुंबई में 28 और 29 मई को होने वाली बैठक में इसकी प्रांसगिकता और निष्पक्षता पर फैसला कर सकती हैं |

अन्तर्राष्टीय क्रिकेट में टॉस की परंपरा 140 साल पुरानी हैं, जिससे कि यह तय किया जाता है कि कौन सी टीम पहले बल्लेबाजी या गेंदबाजी करेगी | लेकिन अब इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाए जा रहे हैं | आलोचकों का कहना है कि इस परंपरा की वजह मेजबान टीम को अनुचित फायदा होता हैं |

माना जा रहा है कि टेस्ट क्रिकेट में घरेलू टीम के लिए पिच काफी मददगार साबित होती हैं और मेहमान टीम के टॉस हारने के बाद उन्हें नुकसान ही होता है | क्रिकेट समीति के कुछ सदस्य टॉस को समाप्त करने के पक्ष में है | लेकिन टॉस समाप्त किये जाने के बाद भी मेहमान टीम को गेंदबाजी या बल्लेबाजी चुनने का विकल्प दिया जायेगा | जिसका मतलब ये हैं कि घरेलू टीम को मेहमान टीम के फैसले पर ही निर्भर रहना पड़ेगा | हालाँकि समीति के कुछ ऐसे भी सदस्य हैं, जो की इस विचार के पक्ष में नहीं हैं | 

ऐसा ही कुछ पूर्व भारतीय कप्तान बिशन सिंह बेदी और दिलीप वेंगसरकर का भी मानना हैं, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में टॉस को खत्म करने के विचार को गलत बताया हैं | टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार बेदी का कहना है कि, "सबसे पहले तो मैं यह जानना चाहता हूँ, कि एक सदी से भी ज्यादा पुरानी इस टॉस करने की परंपरा को खत्म करने का औचित्य ही क्या है? मुझे इस विचार का कोई मतलब समझ में नहीं आ रहा है |"
 
वहीं एक और पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर का मानना हैं कि, "इस खेल में पहले ही बहुत अधिक दखलअंदाजी की जा चुकी है अब और अधिक दखलअंदाजी करने की कोई जरूरत नहीं है | कुछ चीजों को समय के हाथो पर ही छोड़ देना चाहिए |"

उन्होंने आगे कहा है कि, "अगर यह केवल घरेलू टीम के अपने माकूल पिच बनाने के मुद्दे पर ही टॉस को खत्म किया जा रहा है, तो फिर इस पेरशानी के निदान को न्यूट्रल क्यूरेटर को नियुक्त करके भी किया जा सकता है | टॉस जो कि दोनों पक्षों को एक समान अवसर प्रदान करता है और यही चुनौती है, जो कि टेस्ट क्रिकेट प्रदान करता है |"

By Pooja Soni - 18 May, 2018

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