34 वर्षीय भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी अभी वसीम जाफर के रास्ते पर चलते हुए और भी अधिक समय तक खेलना चाहते हैं। "शत प्रतिशत, वह (जाफ़र) एक प्रेरणा हैं। वह एक शानदार इंसान हैं। क्रिकेट के प्रति उनकी लगन और प्रतिबद्धता और उनका शांत स्वभाव छोटे और बड़ो के लिए एक पाठ हैं। वह मेरे जैसे खिलाड़ियों के लिए एक उदाहरण हैं," तिवारी ने हाल ही में हिंदुस्तान टाइम्स के साथ इंटरव्यू में कहा।
तिवारी पिछले वर्ष नंबर में ही 34 वर्ष के हुए हैं। जबकि वसीम जाफ़र भी इस रविवार को 42 वर्ष के हो गए। जाफर ने इससे 12 दिन पहले ही विदर्भा के लिए 57 रनों की पारी खेली थी।
तिवारी ने इस दौरान तीन बड़े कारण भी बताए कि क्यों वह अपने करियर को बड़ा खींचना चाहते हैं, जो 2004 में शुरू हुआ था।
"मुझे इस धारणा को तोड़ना है कि 34-35 की उम्र के बाद कोई खेल नहीं सकता या निरंतर प्रदर्शन नहीं कर सकता। मैं तब तक खेलना चाहता हूँ जब तक मेरा बेटा सात से आठ वर्ष का नहीं हो जाता, ताकि वह इसे समझ सके," तिवारी ने ओड़िशा के खिलाफ क्वार्टर फाइनल से पहले कहा। यह 2017-18 के बाद से पहला मौका हैं जब बंगाल नॉकआउट स्टेज में पहुंची हैं।
"अगर आप फिट हैं और लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं तो पता नहीं कब आपको वापसी का मौका मिल जाए। वह उम्मीद यहाँ पर हैं, वह आशा यहाँ हैं। शाहबाज नदीम, किसी ने नहीं सोचा था कि वह टेस्ट (पिछले वर्ष साउथ अफ्रीका के खिलाफ रांची में) खेलेगा," तिवारी ने कहा।
मनोज तिवारी 2007 में डेब्यू करने वाले थे, लेकिन कंधे में चोट लगने के बाद नहीं कर पाए। इसके बाद उन्होंने भारत के लिए 12 वनडे और तीन टी-20 मुकाबले खेले। भारतीय टीम के लिए उन्होंने अपना अंतिम वनडे 2015 में ज़िम्बाब्वे के खिलाफ खेला था। इससे पहले 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ शतक (104 नाबाद) बनाने और मैन ऑफ द मैच का अवार्ड जीतने के बाद भी उन्हें 14 मैचों के लिए बेंच पर रखा गया था।
"मैंने अब इसे स्वीकार कर लिया हैं लेकिन जब कोई फोटो या ऑटोग्राफ के लिए आता हैं और कहता हैं 'आप बहुत दुर्भाग्यशाली रहे' तो यह वापस याद आ जाता हैं," तिवारी ने कहा।
उनके कंधे को ठीक होने में लगभग एक वर्ष का समय लगा, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी। तिवारी का कहना है कि छोड़ देना उनके लिए कोई विकल्प नहीं था। "मैंने इस खेल के लिए अपनी पढाई का बलिदान किया था। मुझे पता था कि अगर में अच्छा खेलूँगा तो हम आर्थिक रूप से मजबूत हो पाएंगे। मुझे बस आगे बढ़ते जाना था।"