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राजिंदर अमरनाथ और सुशील दोषी ने हिंदी प्रधानता की टिप्पणी के बाद मांगी माफी

राजिंदर अमरनाथ और सुशील दोषी ने हिंदी प्रधानता की टिप्पणी के बाद मांगी माफी

दोषी और अमरनाथ ने लाइव रणजी मैच के दौरान बयान दिया था कि हिंदी हमारी मातृभाषा हैं और इसे हर हिन्दुस्तानी को जानना चाहिए।

Representational Image | Twitter

"हिंदुस्तान में हर हिन्दुस्तानी को हिंदी आनी चाहिए। यह हमारी मातृभाषा हैं, हमारे लिए इससे बड़ी और कोई भाषा नहीं," कर्नाटक और बड़ौदा के बीच रणजी ट्रॉफी मैच के दौरान प्रथम श्रेणी क्रिकेटर और कमेंटेटर राजिंदर अमरनाथ द्वारा बुधवार को लाइव कमेंटरी करते समय दिए गए इस बयान पर कई क्रिकेट फैंस ने आपत्ति जताई हैं।

इसी को आगे बढ़ाते हुए साथ कमेंटेटर सुशील दोषी ने कहा, "सही कह रहे हैं आप, और मैं उन लोगों को बड़े क्रोध की निगाहों से देखता हूँ जो कहते हैं : जो कहते हैं कि हम क्रिकेट हैं फिर भी हिंदी बोल रहे हैं। हम भारत में रहते हैं तो भारत की भाषा ही बोलेंगे, इसमें गर्व की क्या बात हैं।"

लाइव टीवी पर दिए गए इन बयानों के बाद कई लोगों ने इस पर आपत्ति जताई हैं। "क्या इस पागल कमेंटेटर ने अभी यह कहा कि "हर भारतीय को हिंदी आनी चाहिए" ? बीसीसीआई धरती पर खुद को क्या समझता हैं। हिंदी थोपना और गलत संदेश प्रसारित करना बंद करे। कृपया माफ़ी मांगे। हर भारतीय को हिंदी जानने की जरूरत नहीं है। #StopHindiImposition #RanjiTrophy #KARvBRD," एक यूजर ने मैच का वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा।

सोशल मीडिया पर क्रिकेट फैंस की ऐसी प्रतिक्रियाओं को देखते हुए राजिंदर अमरनाथ, जो मोहिंदर अमरनाथ के भाई हैं, ने चायकाल से पहले ही लाइव टीवी पर माफ़ी मांगी। "मेरा इरादा किसी भाषा को बढ़ावा देने का नहीं था। देश की सभी भाषाएँ देश का एक हिस्सा हैं। हर कोई अपनी भाषा बोलना पसंद करता है। मेरा इरादा किसी को दुख पहुंचाना नहीं था," अमरनाथ ने कहा।

दोनों ने मैच समाप्त होने के बाद शाम को मीडिया से भी बात कि और अमरनाथ ने यहाँ घटना का प्रतिवाद किया। "क्या यह नकार जा रहा है कि हिंदी देश की मातृभाषा नहीं है? तो यह क्या है?" अमरनाथ ने कहा। उन्होंने इसके बाद यह भी कहा कि उनके कहने का मतलब यह नहीं था, वह कहना कुछ और चाहते थे लेकिन बोल कुछ और गए। "मेरा कहने का मतलब था कि हर भारतीय हिंदी जानता होगा, न की हर भारतीय को हिंदी आनी चाहिए," अमरनाथ ने कहा।

दूसरी तरफ दोषी भी अपनी बातों से मुंह मोड़ते नजर आये जहाँ उन्होंने भारत में हिंदी के इस्तमाल की तुलना इंग्लैंड में अंग्रेजी के इस्तमाल से की। भाषाओँ के सम्मान के बारे में बात करते हुए भी दोषी लगातार कन्नड़ की जगह तेलुगु को कर्नाटक की भाषा बता रहे थे।

 
 

By Raj Kumar - 14 Feb, 2020

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