अंडर-19 विश्वकप के फाइनल में भारतीय टीम के ट्रॉफी न उठा पाने का गम हर फैन को हैं, लेकिन इसे यशस्वी जायसवाल से बेहतर कौन समझ सकता हैं, जिन्होंने भारत को जिताने के लिए जी जान लगा दी, लेकिन इसमें कामयाब नहीं हो पाए। इस टूर्नामेंट में निजी तौर पर जायसवाल का प्रदर्शन शानदार था, और उन्होंने यहाँ प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब जीता था, लेकिन ट्रॉफी न जीत पाने का मलाल उन्हें अभी भी हैं।
हाल ही में नवभारत टाइम्स ने यशस्वी जायसवाल के कोच ज्वाला सिंह का इंटरव्यू लिया, जहाँ उन्होंने बताया की वह यशस्वी को एक नई कार तोहफे में देना चाहते थे, लेकिन यशस्वी ने इससे इनकार कर दिया। यशस्वी का कहना था कि वह उन्हें अपनी पुरानी कार देकर खुद अपने लिए एक नई कार खरीद लें।
ज्वाला सिंह ने बताया कि वह यशस्वी को पहले से एक कर गिफ्ट करना चाहते थे, क्योंकि उन्हें इसकी जरुरत थी, लेकिन उस समय यशस्वी की उम्र 18 वर्ष से कम थी और वह ड्राइविंग नहीं कर सकते थे। कोच ने उन्हें 18वें जन्मदिन पर भी कार गिफ्ट करने की सोची लेकिन उस समय यशस्वी विश्वकप के लिए तैयारी कर रहे थे और उनका पूरा ध्यान सिर्फ क्रिकेट पर था।
जब भारतीय अंडर-19 टीम साउथ अफ्रीका के लिए रवाना हो रही थी, तो कोच ज्वाला सिंह ने यशस्वी जायसवाल को वादा किया था कि अगर वह टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनायेंगे तो उन्हें गिफ्ट में एक कार दी जायेगी। हुआ भी ऐसा ही और यशस्वी इस टूर्नामेंट में 400 रनों के साथ सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब जीता। पृथ्वी ने इस टूर्नामेंट में सिर्फ एक बार 50 से कम का स्कोर बनाया और वहां भी वह 29 रन बनाकर नाबाद लौटे। उन्होंने फाइनल में भी 88 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली थी।