मैंने कभी आलोचनाओं से दबाव महसूस नहीं किया : एमएसके प्रसाद

एमएसके प्रसाद | Getty

भारत के मुख्य चयनकर्ता के रूप में एमएसके प्रसाद का कार्यकाल समाप्त हो गया है, जिसकी घोषणा बीसीसीआई की 88वीं वार्षिक आम बैठक के दौरान खुद बीसीसीआई अध्यक सौरव गांगुली ने की थी।

इस कार्यकाल के दौरान प्रसाद का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में बेहद कम अनुभव हमेशा चर्चा का विषय रहा, जबकि टीम ने उनके कार्यकाल के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन किया था। उनके साथी देवांग गांधी, सरनदीप सिंह, जतिन परांजपे और गगन खोड़ा का अंतर्राष्ट्रीय करियर तो खुद प्रसाद से भी छोटा रहा है।

चयन समिति के पांचो सदस्यों में से अंतर्राष्ट्रीय करियर का सबसे ज्यादा अनुभव प्रसाद के पास ही है, जिन्होंने 6 टेस्ट और 17 वनडे मैच खेले है। हालाँकि इन आलोचनाओं ने कभी एमएसके प्रसाद के निर्णयों को प्रभावित नहीं किया। प्रसाद के अनुसार इन बाहरी आलोचनाओं को संभालना आसान था।

"मैंने कभी दबाव महसूस नहीं किया। आप केवल तभी बेचैन और असहज महसूस करेंगे जब आपका निर्णय स्पष्ट न हों। हम बहुत स्पष्ट थे, खास तौर पर खिलाड़ियों को चुनते समय," प्रसाद ने कहा।

"सही खिलाडियों को चुनने के लिए हम सबने बहुत सारा घरेलु क्रिकेट देखा। हम पांचो के बीच क्रिकेट को लेकर बहुत बातचीत होती थी। इसके लिए हमें बहुत यात्रा भी करनी पड़ती थी। हम साल में लगभग 220-240 दिन यात्रा करते थे। हमने पिछले दो सालों में खिलाड़ियों की निरंतरता के आधार पर इनमे अदला-बदली की। हमने उन्हें इंडिया-ए के माध्यम से तैयार किया। हमने उनका समर्थन किया। जब टीम को आवश्यकता पड़ी तो हमने बेंच स्ट्रेंथ को तैयार रखा।"

"आज हमारे पास मुख्य खिलाड़ियों के अलावा 6 अच्छे स्पिनर है। पांच मुख्य तेज गेंदबाजों के अलावा हमारे पास 4 अच्छे तेज गेंदबाज है। वे भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए काफी अच्छे हैं।"

बाहरी लोगों और फैन्स से मिलने वाली आलोचनाओं के बारे में बात करते हुए प्रसाद ने कहा की ये इस काम का हिस्सा है।

"आलोचनाएँ और दबाव इस नौकरी का हिस्सा हैं। ये सिर्फ उस पद की वजह से आते है जिस पर हम बैठे है। मुझे यकीन है की इन सबके बावजूद हमने अच्छा किया। यहाँ तक की में खुश हूँ, जिस प्रकार से हमने इस काम को किया है।"

 
 

By Raj Kumar - 05 Dec, 2019

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