नाडा के साथ हाथ मिलाना सीओए और सीईओ की प्रशासनिक विफलता - बीसीसीआई

अनुराग ठाकुर और राहुल जोहरी | GETTY

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा वर्षों से विरोध किए जाने वाले एक कदम पर प्रशासकों की समिति (सीओए) के तहत दुखद रूप से सहमति व्यक्त की गई है, क्योंकि शुक्रवार को सीईओ राहुल जौहरी ने खेल मंत्रालय को गारंटी दी थी कि बोर्ड राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के अन्दर ही आएगा। बीसीसीआई के अधिकारियों को लगता है कि वर्तमान प्रशासन भारतीय क्रिकेट में विफल रहा है|

आईएएनएस से बात करते हुए बीसीसीआई ने कहा कि यह दुख की बात है की सीओए के होते हुए चीजों पर कैसे पाबन्दी लगाईं जा सकती है और अब नाडा के नीचे आने का काम ताबूत में अंतिम कील जैसा है|

"यह बीसीसीआई के सीईओ और सीओए की ओर से प्रशासन की विफलता के अलावा और कुछ नहीं है। सीईओ को सालाना 5 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया जाता है और जाहिर तौर पर उसे लगभग 5 करोड़ रुपये का बोनस दिया जाता है, लेकिन उनके प्रशासन में बीसीसीआई का डोपिंग रोधी कार्यक्रम पूरी तरह विफल रहा है और ख़ास तौर से ऐसा पृथ्वी शॉ वाले केस में हुआ है।"

"ये कदम शायद इसलिए उठाया गया है ताकि शॉ वाले मामले में जांच में को रोका जा सके और एक तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके। ख़बरों की माने तो चयनकर्ताओं को शॉ के निलंबन के बारे में सूचित भी नहीं किया गया था| सीओए अपनी इस गलती पर होने वाली जाँच से भाग नहीं सकता है क्योकि इसमें अब नाडा भी शामिल हो चुका है।"

 

 
 

By Raj Kumar - 09 Aug, 2019

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