जस्टिस लोढ़ा और बीसीसीआई ने कप्तान और कोच को पत्नियों को दौरे पर जाने के मामले पर फैसला करने के अधिकार पर जताई हैरानी

विराट कोहली और रवि शास्त्री | Getty

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई प्रशासकों की समिति (सीओए) ने भारतीय कप्तान और कोच को विदेशी दौरों पर खिलाड़ियों के साथ उनकी पत्नियों और गर्लफ्रेंड्स के जाने या न जाने का फैसला करने का अधिकार दिया, जिस पर भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के अधिकारियों ने हैरानी जताई हैं| यहाँ तक कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश आर.एम. लोढ़ा ने भी सीओए के इस फैसले पर अपनी हैरानी जताई हैं|

लोढा पैनल के प्रस्तावों का सेट नए बीसीसीआई संविधान के गठन का मानदंड था, लेकिन पूर्व सीजेआई इस बात से हैरान हैं कि पिछले दो वर्षों में चीजों पर कैसे पाबंदी लगाई गई हैं|

लोढ़ा ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया हैं कि अब नैतिक अधिकारी डी.के. जैन यहाँ हैं, उन्हें एक फैसला लेना चाहिए और लोढ़ा पैनल के प्रस्तावों के अनुसार नए पंजीकृत संविधान के खिलाफ किसी भी फैसले का समर्थन नहीं करना चाहिए|

उन्हने कहा हैं कि, "मैं क्या कह सकता हूँ ? नैतिक अधिकारी अब फैसला करने के लिए यहाँ हैं| मैं क्या कहूँ? हर कोई इसे (लोढ़ा पैनल के प्रस्तावों) की अपने तरीके से व्याख्या कर रहा है| हमारी सिफारिशें लागू हैं और उसके आधार पर मुझे संविधान बताया गया था| और अब जब मुद्दा उठाया आया हैं, तो नैतिक अधिकारी को फैसला लेना चाहिए|"

लोढा स्पष्ट रूप से निराश हैं कि सीओए कैसे काम का पालन करने में और नए संविधान को लागू करने में विफल रहा है| उन्होंने कहा हैं कि, "दो साल में कुछ भी नहीं हुआ है| हम चाहते थे कि रिपोर्ट को उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुमोदित के रूप में लागू किया जाए, लेकिन दो साल से अधिक समय बीत चुका है और हमे अंत में किसी बात का कोई सुराग भी नज़र नहीं आ रहा हैं|"

बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया हैं कि कप्तान (विराट कोहली) और कोच (रवि शास्त्री) को यात्रा की अवधि और पत्नियों और गर्लफ्रेंड्स की योजना के बारे में निर्णय लेने की अनुमति देने का फैसला हितों के टकराव का एक स्पष्ट मामला हैं|

अधिकारी ने बताया हैं कि, "हितों के टकराव का सार यह है कि जब आप एक निर्णय ले रहे होते हैं, जिसमें आप स्वयं लाभार्थी होते हैं, तो वह संघर्ष होता है| मुझे लगता है कि सीओए एक बंधनमुक्त इकाई की तरह है जो किसी भी सीमा से दूर चला गया है , जिसे मूल रूप से लोढ़ा समिति की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण माना जा सकता है|"

उन्होंने आगे कहा हैं कि, "उनके द्वारा लिए गए कई निर्णय न केवल नए बीसीसीआई संविधान का पूर्ण उल्लंघन करते हैं, बल्कि लोढ़ा समिति की रिपोर्ट का भी उल्लंघन करते हैं|  लोढ़ा समिति की रिपोर्ट में हित के मुद्दों से निपटने पर जोर दिया गया है| और सीओए प्रशासन के अपने कार्य में हितों के टकराव के समान मुद्दों के साथ आए हैं और ऐसा लगता है कि वे पूरी अवधारणा के साथ अलग काम करना चाहते हैं|"

 
 

By Pooja Soni - 19 Jul, 2019

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