इस बात में कोई संदेह नहीं है कि रविचंद्रन अश्विन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों में से एक रहे हैं| तमिलनाडु के ऑफ स्पिनर ने साल 2010 में जिम्बाब्वे में खेले गए एकदिवसीय मैच में अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया था| जिसके बाद उन्होंने जल्द ही अपना टी-20 डेब्यू भी किया| हालांकि, उन्हें अपनी टेस्ट कैप हासिल करने में एक साल से भी ज्यादा का समय लग गया था|
हालाँकि, तब से उन्होंने अपने करियर में काफी उतार चढ़ाव देखे हैं| लेकिन वे फिर भी भारत के प्रमुख स्पिनरों में से एक रहे हैं, खासकर टेस्ट क्रिकेट में| साल 2017 के मध्य तक वह भारत के पसंदीदा सफेद बॉल स्पिनर बन गए थे| अश्विन ने नौ साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला है और सभी प्रारूपों में 550 से अधिक विकेट लिए| उनके नाम पर न केवल इतने सारे विकेट हैं, बल्कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 3000 से अधिक रन भी बनाए हैं और चार टेस्ट शतक भी जड़े हैं|
ब्रेकफास्ट विद चैंपियंस नाम के एक यूट्यूब टॉक-शो में अश्विन ने कुछ ख़ास बातों का खुलासा किया हैं| उन्होंने खुलासा किया हैं कि अनिल कुंबले ने एक बार उनसे कहा था कि उनका जीवन लोगों को गलत साबित करने में कैसे व्यतीत हो गया और अश्विन का सफर और प्रेरणा भी उन्ही के समान विचारधाराओं से भरा हुआ हैं| अश्विन को लगता है कि वह चाहते थे कि लोगो को एहसास को कि गेंदबाज होना अच्छा होता हैं| उन्होंने बल्लेबाजों को 'व्यापार या प्रथम श्रेणी के लोगों' के रूप में भी करार दिया हैं, जबकि उन्होंने गेंदबाजों की तुलना 'श्रमिक वर्ग' से की हैं|
गौरव कपूर के साथ साक्षात्कार के दौरान अश्विन ने बताया हैं कि, "एक बार जब मैं इस यात्रा में शामिल हो गया था और गेंदबाज बनने लगा, तो मुझे एहसास हुआ कि मुझे लोगों को यह साबित करना होगा कि गेंदबाज बनना अच्छा होता हैं| मुझे लगातार लगता है कि कोई भी गेंदबाज नहीं बनना चाहता हैं, क्योंकि यह एक श्रमिक वर्ग और बल्लेबाजी प्रथम श्रेणी या व्यावसायिक वर्ग है| हम लोगों को गेंद उठाने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं|"