गौतम गंभीर के बचपन के कोच संजय भारद्वाज का कहना हैं कि क्रिकेट से रिटायर होने के गंभीर के फैसले का समय सही था और वह हमेशा अपने खेल के बारे में ईमानदार रहा हैं|
इंडियनएक्सप्रेस से बात करते हुए भारद्वाज ने कहा हैं कि, "गंभीर ने हमेशा खेल में अपना 100 प्रतिशत दिया है और इसके प्रति ईमानदार रहा है| उन्होंने कभी प्रसिद्धि या नाम मांगा नहीं है|" भारद्वाज, जिन्होंने अमित मिश्रा, अनमुक चंद जैसे खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया है, ने कहा हैं कि एक कोच कभी भी अपने वार्ड को खेल से रिटायर होता नहीं देखना चाहेंगे|
उन्होंने कहा हैं कि, "मैं उन्हें क्रिकेट के खेल को खेलना जारी रखता हुआ देखना पसंद करता| यहाँ तक कि सीके नायडू ने 1963 में 56 साल की उम्र में अपना अंतिम प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच खेला था|"
अपने रिटायरमेंट के भाषण में गंभीर ने उल्लेख किया है कि भारद्वाज उनके उतार-चढ़ाव भरे जीवन के दौरान उनके साथ खड़े थे| गंभीर ने कहा था कि, "जब भी मैं मुसीबत में होता था, मैं उन पर भरोसा कर सकता था| महोदय, मुझे नहीं पता कि मैंने आपको गर्व महसूस कराया हैं कि नहीं, लेकिन मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूँ कि मैं जो कुछ कर सकता था, वो मैंने दिया हैं|"
इस बीच भारद्वाज ने कहा हैं कि गंभीर ने दो-तीन साल पहले उनसे संपर्क किया था जब वह घरेलू मैच में किसी न किसी पैच के माध्यम से जा रहे थे| उन्होंने बताया हैं कि, "मैंने उसे अपना रुख सुधारने के लिए कुछ सुझाव दिए थे| लेकिन ऑस्ट्रेलिया में जाने के बाद (जस्टिन लैंगर के तहत ट्रेन करने के लिए) और उनके रुख को अपनाए जाने के बाद उनकी बल्लेबाजी में वास्तविक बदलाव आया| उसके बाद उन्होंने केकेआर और दिल्ली के लिए आईपीएल में रन भी बनाये|"
भारद्वाज ने कहा कि, "वह अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे और घरेलू टूर्नामेंट में रन भी बना रहे हैं| मुझे लगता है कि किसी भी तरह उनके प्रदर्शनों को नजरअंदाज कर दिया गया है| उन्हें एक मौका दिया जाना चाहिए था, क्योंकि भारत में नियमित रूप से ओपनिंग जोड़ी नहीं है|"