पूर्व भारतीय स्पिनर और कमेंटेटर लक्ष्मण शिवरामकृष्णन का मानना है कि तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार और विकेटकीपर रिद्धिमान साहा जैसे प्रमुख खिलाड़ियों की चोटों की वजह से संतुलन मेजबानों के पक्ष में चला गया था|
मंगलवार को टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए शिव ने कहा हैं कि,"हार्दिक पंड्या की बजाय, टीम प्रबंधन भुवनेश्वर कुमार को टीम में शामिल कर सकते थे और वह टीम के लिए बड़ा बढ़ावा हो सकते थे| भारतीय वास्तव में उनकी कमी को महसूस कर रहे होंगे| टीम ने साहा की सेवाओं को भी याद किया|"
उन्होंने यह स्पष्ट किया हैं कि ऑलराउंडर्स की तरफ से योगदान की कमी भारत की श्रृंखला हार के पीछे का सबसे बड़ा कारण थी| उन्होंने कहा कि, "भुवनेश्वर, पांड्या की तुलना में अधिक विकेट ले सकते थे और कुछ रन भी बना सकते थे| इसी तरह, साहा ने इतने सारे बाईस नहीं दिए होते और निश्चित रूप से श्रृंखला में और अधिक स्कोर करते| उनकी मौजूदगी से भारत को इतना नुकसान नहीं पहुँचता|"
टीम के झुकाव के विपरीत, शिव का कहना हैं कि भारत पहला और चौथा टेस्ट जीत सकता था और परिणाम आज अलग-अलग ही होते| शिव ने यह भी कहा हैं कि शुरुआती बल्लेबाजों की साझेदारी की कमी ने भारतीय मध्य क्रम में बहुत योगदान दिया है जो स्वतंत्र रूप से खेलने में सक्षम नहीं हुए हैं|
उन्होंने आगे कहा हैं कि, "भारतीय सलामी बल्लेबाजों को कम से कम 75 रनों के साथ 20 से 30 ओवरों के लिए बल्लेबाजी करनी चाहिए थी| इससे मध्य क्रम का बहुत दबाव काम हो जाता| कोहली और अजिंक्य रहाणे जैसे खिलाड़ी उसके बाद बहुत आसानी से खेल पाते| लेकिन ऐसा नहीं हुआ| कोहली को मध्य क्रम में सभी रन बनाने के लिए अकेला छोड़ दिया गया था|"