लीजेंडरी क्रिकेटर मिताली राज, जो कि दो दशकों से क्रिकेट खेल रही हैं, का मानना है कि पिछले साल के विश्व कप के बाद महिला क्रिकेट के लिए चीजें बदल गईं हैं |
फाइनल मुकाबले में मेजबान इंग्लैंड टीम द्वारा हार का सामना करने के बाद भारत ने विश्व कप का समापन एक रनर-उप के रूप में किया | साल 1999 में अपने वनडे करियर की शुरुआत करने वाली मिताली ने मुंबई में एक कार्यक्रम में बात करते हुए बताया हैं कि, "90वें के दशक में एक ऐसे खेल में शामिल होना बहुत आसान नहीं था, जो कि उस समय बहुत ही पुरुष-प्रभावशाली खेल हुआ करता था |"
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा हैं कि, "मुझे यकीन है कि विश्व कप के बाद से महिलाओं के क्रिकेट के लिए चीजें बदल गई हैं और भारत में महिलाओं के क्रिकेट के लिए लोगों की धारणाये भी बदल गई है | बीसीसीआई के तहत चीजें अब बहुत अच्छी लग रही हैं |"
मिताली ने यह भी कहा हैं कि उनके माता-पिता हर समय उसके साथ खड़े रहते थे | उन्होंने कहा कि, "हमारे माता-पिता हमेशा अस्पष्ट और विराट चीज़ो के माध्यम से हमार समर्थन करते थे और यही कारण है कि वे हमें स्तिथि और मंच प्रदान करने में क्रांतिकारी रहे हैं और जिससे हमें अपनी पहचान बनाने की आजादी मिली |"
भारतीय क्रिकेटर ने कहा कि एक एथलीट के रूप में, उनके लिए सामना करने वाली सबसे बड़ी चुनौती लोगों की धारणा थी, कि खेल महिलाओं के लिए नहीं है | मिताली ने कहा कि, "हमें अपने समाज की नसिकता को बदलने की जरूरत है, क्योंकि हमारे सफर में महिलाओं के एथलीटों का सामना करना सबसे बड़ी चुनौती रही है और लोगों की धारणा यही हैं कि खेल महिलाओं के लिए नहीं है |"