पूर्व भारत ट्रेनर ने यो-यो टेस्ट को फुटबॉल केंद्रीय बताया

भारतीय कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री इस बात के लिए अशिष्ट हैं कि जब तक कोई खिलाड़ी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं करता है तो वह राष्ट्रीय टीम का हिस्सा नहीं बन सकता है |

जिसके चलते भारतीय क्रिकेट बोर्ड यानी बीसीसीआई ने खिलाड़ियों की फिटनेस को परखने के लिए यो-यो टेस्ट का आयोजन किया था | भारतीय क्रिकेट टीम में चयन होने के बाद यो-यो टेस्ट में लगातार खिलाड़ी फेल हो रहे हैं, जिसको देखते हुए बोर्ड ने एक बड़ा फैसला लिया थे | और अब टीम में उन्हीं खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा, जो यो-यो टेस्ट में सफल होंगे | 

लेकिन पूर्व भारतीय ट्रेनर ने यो-यो टेस्ट की पारदर्शिता पर कुछ सवाल उठाये हैं |

क्रिकेट नेक्स्ट से बात करते हुए बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया हैं कि, "कोई भी यह नहीं कह रहा है कि फिटनेस का मानक नहीं होना चाहिए कि जिसे पेशेवर क्रिकेटरों को हासिल करने का प्रयास करना चाहिए | यहां मुद्दा ये हैं कि यह तरीका है जिसमें यह कार्यान्वित किया जा सके | कोई भी नहीं जानता कि किसने ये फैसला किया और किस समिति और इस तरह के फैसले के आधार पर किया गया हैं |"
 
"कुछ भी नहीं बताया गया है लेकिन फिर भी इसे लागू किया गया है, यह अपारदर्शी और बहुत अजीब ही है | पूल में प्रत्येक खिलाड़ी के लिए वैयक्तिकृत फिटनेस मार्करों की एक व्यापक सूची होनी चाहिए और बीकन जिसके आसपास इन मार्करों को आराम करना होगा, जिसमे प्रतिभा, प्रदर्शन और मैच फिटनेस होना आवश्यक हैं |"

एक अन्य अधिकारी ने कहा हैं कि प्रक्रिया में स्पष्टता की कमी सबसे बड़ी समस्या है | उन्होंने कहा हैं कि, "प्रक्रिया और निर्णय के बारे में संचार की अनुपस्थिति में, एक आरामदायक चयन क्लब के संस्थानीकरण कि ऊलजलूल बातें हैं, जिसमें प्रवेश सीमित पौराणिक चक्रवीयु की तरह दिखती है, जो केवल कुछ सीमित लोगों के लिए जाना जाता है |"

उन्होंने कहा हैं कि, "यदि यह क्रॉस और प्रवेशद्वार के लिए एक महत्वपूर्ण सीमा है जो क्रिकेट के करियर बना या तोड़ सकती है और परिभाषित करती है कि उच्चतम स्तर पर एक टीम का प्रतिनिधित्व कौन करता है, तो इस तरह के परीक्षण का निष्पादन और इसकी निष्पक्षता अपारदर्शी नहीं हो सकती है |"

 
 

By Pooja Soni - 21 Jun, 2018

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