बीसीसीआई ने विनोद राय पर लगाए आरोप

बीसीसीआई के अधिकारियो और प्रशासकों की समिति (सीओए) के बीच चल रहे विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है | 

सीओए के फैसले पर कड़ा ऐतराज जाहिर करते हुए कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने विनोद राय पर आरोप लगाया हैं कि वे बिना पारदर्शिता के काम कर रहे हैं |

चौधरी ने राय को भेजे ईमेल में कहा हैं कि, "22 जून 2018 को होने वाली एसजीएम रोकने का साफ मतलब यही हैं कि कि आमसभा समिति द्वारा बिना किसी अधिकार के और पदाधिकारियों को अंधेरे में रखकर ही लिये गए फैसलों पर बात नहीं कर पाए |"

साथ ही उन्होंने विभिन्न नियुक्तियों में सीओए द्वारा लिये गए फैसलों पर भी सवाल उठाये हैं | जिसमे राहुल द्रविड़ और रवि शास्‍त्री का मुद्दा भी शामिल है | दरअसल,आईपीएल के एक अधिकारी ने उन्हें एक ई-मेल भेजते हुए शास्त्री और द्रविड़ की नियुक्ति पर स्पष्टीकरण मांगा था | जिसके जवाब में सीओए के प्रमुख ने लिखा हैं कि, "मेरे साथ ठीक है | उन्हें बीसीसीआई का कमेंटेटर होना चाहिए ताकि हितों का टकराव ना हो |" 

जिसकी वजह से द्रविड़ और शास्‍त्री को कमेंट्री समीति में शामिल नहीं किया जा सका | बीसीसीआई अधिकारी ने बताया हैं कि राय का साफ मलतब है कि उन्‍हें अपने पद से इस्तीफा देना होगा | हालाँकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कि गई लोढ़ा कमेटी का असली मकसद ही हितों के टकराव को रोकना है |

इसके अतिरिक्त आमसभा को लेकर भी राय पहले से ही बीसीसीआई के निशाने पर हैं | हाल ही में  विनोद राय के नेतृत्व वाली समिति ने मान्यता प्राप्त इकाइयों की 22 जून को होने वाली विशेष आम बैठक को रोकने के निर्देश जारी किये हैं | हालांकि बीसीसीआई के पूर्व और मौजूदा अधिकारी अपने रुख से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं | 

बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने क्रिकेटएक्स्ट से बात करते हुए कहा हैं कि, "सीओए जानता है कि बोध समिति की सिफारिशों के निर्माण खंडों में से एक हितों के टकराव को रोक रहा था और इसी कारण शास्त्री और द्रविड़ को पहली बार कमेंटेटर्स के रूप में अलग-अलग कदम उठाने की जरूरत थी |"

 
 

By Pooja Soni - 04 Jun, 2018

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