पूर्व पाकिस्तानी कप्तान जावेद मियांदाद ने टेस्ट क्रिकेट से टॉस की परंपरा को खत्म करने के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा हैं कि इस से मेजबान टीम अपने लाभकारी वाली पिचों की बजाय, उसे बेहतर पिच बनाने पर ध्यान देंगी |
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार मियांदाद ने कहा हैं कि, ‘‘मुझे टॉस की परंपरा खत्म करने के प्रस्ताव में किसी भी तरह की कोई खामी नजर नहीं आ रही | क्योकि इससे मैच विशेष रूप से टेस्ट क्रिकेट अच्छी पिचों पर खेला जाएगा |"
इस महीने मुंबई में होने वाली आईसीसी की क्रिकेट समिति की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी, जिसके बाद ही इस पर फैसला किया जायेगा कि खेल से टॉस खत्म कर दिया जाना चहिये या फिर नहीं |
उन्होंने आगे कहा कि, "टॉस हमेशा से ही क्रिकेट का एक अहम हिस्सा रहा हैं, लेकिन समय बदल रहा हैं और हमे भी नई चीज़ो को करने की कोशिश करनी चाहिए, जिससे की खेल और भी आकर्षित और बेहतर बने |"
पूर्व पाकिस्तानी कप्तान ने कहा हैं कि, ‘‘हमने हाल ही में देखा है कि पाकिस्तान ने यूएई में मैच जीते हैं जहां पिचें धीमी और कम उछाल वाली थी, लेकिन ऑस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड में वे संघर्ष करते हुए नजर आये | जिसके लिए जरूरी है कि अच्छी पिचों पर क्रिकेट खेला जाए |"
हालांकि मियांदाद से पहले एक और पूर्व कप्तान सलीम मलिक का कहना था कि आईसीसी को खेल की परंपरा से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए और साथ ही कहा हैं कि टॉस से खेल और भी रोचक हो जाता है |
उन्होंने कहा कि, ‘‘इससे कप्तान की चतुराई और उपयोगिता की परख कि जाती है | कई बार टॉस के समय लिए गए फैसलों से मैच के परिणामो पर भी असर पड़ता है | इसलिए टॉस को खत्म करने की बजाय मैच रैफरियों और अंपायरों की तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्यूरेटर भी होने चाहिए |"
उनका मानना हैं कि आईसीसी को इसे एक चुनौती कि तरह देना चाहिए कि सभी टीमें खेल पिचों के लिए तैयार हो सके, जिससे कि बल्लेबाजों, गेंदबाजों को समान रूप से मदद मिल सके |
उन्होंने कहा कि, "टॉस को ख़त्म करना या टेस्ट मैचों को चार दिनों में से कम करना इसका हल नहीं है |किसी को भी क्रिकेट की पारंपरिक भावना के साथ छेड़खानी नहीं करना चाहिए |"