2016 से टीम इंडिया से बाहर चल रहे बाएं हाथ के बल्लेबाज़ गौतम गंभीर का मानना है कि बीसीसीआई ने टेस्ट क्रिकेट को बढ़ाने के लिए कुछ ख़ास कदम नहीं उठाये है|
गंभीर को लगता है कि बीसीसीआई ने जिस तरह से टी-20 और वनडे क्रिकेट को लोकप्रिय बनाने के प्रयास किये है उस तरह से टेस्ट क्रिकेट की मार्केटिंग नहीं की है|
एक बुक लांच के दौरान सीओए के प्रमुख विनोद राय और सीईओ राहुल जोहरी की उपस्थिति में गंभीर ने यह बात कही| गंभीर ने कहा कि ‘मुझे नहीं लगता कि बीसीसीआई ने टेस्ट क्रिकेट का उस तरह से प्रचार और प्रसार किया जैसा कि उसने वन-डे और टी-20 के मामले में किया। मुझे वेस्टइंडीज के खिलाफ (2011 में) ईडन गार्डन्स पर खेला गया टेस्ट याद है। भारत पहले दिन बल्लेबाजी कर रहा था और केवल 1000 लोग स्टेडियम में मौजूद थे।'
गंभीर ने आगे कहा, 'कल्पना कीजिए कि वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण खेल रहे हों और केवल 1000 दर्शक मौजूद हों।' वहीं ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह को लगता है कि टेस्ट क्रिकेट दूसरी श्रेणी के शहरों में आयोजित किया जाना चाहिए, लेकिन गंभीर को यह समाधान नहीं लगता।
भारत की तरफ से 58 टेस्ट और 147 वन-डे खेलने वाले गंभीर ने कहा, 'मैं नहीं जानता, लेकिन कुछ गड़बड़ी हुई है। हो सकता है कि उन्हें टी-20 और वन-डे में कटौती करनी पड़े।' गंभीर का मानना है कि टेस्ट मैचों से पहले सीमित ओवरों के मैच खेलने से थोड़ी मदद मिल सकती है।