बीसीसीआई को मिली सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी राहत

मंगलवार (1 मई) को सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को एक बड़ी राहत दी हैं |

विसडेन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट दवारा नियुक्त की गई जस्टिस लोढ़ा कमेटी की कठोर सिफारिशों का सामना कर रही बीसीसीआई के लिए कोर्ट ने बोर्ड के भीतर ‘एक राज्य-एक वोट’ पर पुनर्विचार करने पर अपनी सहमति दे दी हैं | जुलाई 2016 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमोदित सिफारिशों के तहत, महाराष्ट्र और गुजरात दोनों ने ही उनके बीच छह प्रथम श्रेणी की टीम में, बीसीसीआई के एजीएम में केवल एक ही वोट रखा था |

एक तीन न्यायाधीशीय बेंच ने मंगलवार को कहा हैं कि पहले किये गए फैसले पर फिर से विचार किये जाने की जरूरत पड़ सकती है | बेंच ने कहा हैं कि  "हम एक राज्य, एक वोट के विचार को बदल सकते हैं | हम उत्तर-पूर्वी राज्यों के वोट देने के खिलाफ नहीं हैं | उन्हें भी आना चाहिए | जब कोई एक मैच में उत्तर-पूर्वी टीम द्वारा गेंदबाज की, कि गई नो-बॉल की संख्या पर ध्यान देता है, तो यह उनके साथ अन्याय है | यदि अफगानिस्तान वर्षों के प्रयास और निवेश के साथ, एक टेस्ट खेलने वाला देश बन सकता है, तो फिर उत्तर-पूर्वी राज्य क्यों नहीं? "
 
साथ ही बोर्ड के इस तर्क के बाद अदालत ने संकेत दिया हैं कि वह महाराष्ट्र और गुजरात के क्रिकेट निकायों के पहलुओं पर भी गौर कर सकती है, क्योंकि खेल में उनकी ऐतिहासिक भूमिका रही है और उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता हैं |

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस ए एम खानविल्कर और जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ भी शामिल हैं | साथ ही कोर्ट ने नेशनल चयनकर्ताओं की कमेटी के सदस्यों की संख्या को तीन से बढ़ाकर पांच करने और इसमें गैर टेस्ट खिलाड़ियों को भी शामिल करने पर विचार करने के संकेत दिए हैं |

यहाँ तक कि कोर्ट ने रणजी ट्रॉफी और अन्य घरेलू प्रतियोगिताओं में पूर्व चैंपियन रेलवे और सेवाओं की निरंतर उपस्थिति का भी समर्थन किया हैं | एससी ने जुलाई 2016 में कहा था कि ये टीमें बीसीसीआई के सदस्य होने के योग्य नहीं हैं क्योंकि उन्होंने किसी भी राज्य का प्रतिनिधित्व नहीं किया हैं | जिसके बाद अब बेंच ने कहा हैं कि, "हम रेलवे और सेवाओं को शामिल करने के सिद्धांत में भी हैं |"

 
 

By Pooja Soni - 02 May, 2018

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