जब पिता के निधन के बाद सचिन तेंदुलकर ने 1999 विश्व कप में खेली थी भावुक पारी

सचिन तेंदुलकर  ने 1999 विश्व कप में केन्या के विरुद्ध 140 रन बनाए

क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर आज अपना 45वां जन्मदिन मना रहे है| 24 अप्रैल 1973 को मुंबई में जन्मे इस महान क्रिकेटर ने भारत में क्रिकेट की परिभाषा ही बदल डाली |

क्रिकेट में बल्लेबाज़ी का लगभग हर रिकॉर्ड उनके नाम है फिर वह चाहे सबसे अधिक रनों का रिकॉर्ड हो, सर्वाधिक शतक लगाने का रिकॉर्ड हो या फिर सबसे अधिक बाउंड्री लगाने का रिकॉर्ड हो| 

सचिन बेशक अब क्रिकेट से संन्यास ले चुकें हो, पर वह अभी भी युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है| भारतीय टीम के कई स्टार खिलाड़ी इस बात का जिक्र कर चुके है के क्रिकेट के इस भगवान को देखकर ही उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था| सचिन से जुडी बहुत सी ऐसी रोचक बातें है जों आप और हम सब जानते है| लेकिन आज उनके जन्मदिन पर सचिन तेंदुलकर के जीवन का सबसे भावुक लम्हें को हम याद करना चाहेंगे |

वर्ष 1983 विश्व कप जीतने के बाद, 1999 में इंग्लैंड में खेले जा रहे वर्ल्ड कप को लेकर भारतीय टीम काफी उत्साहित थी| लोगों को भारतीय टीम से काफी उम्मीद थी के यह टीम 1999 का यह विश्व कप भारत लेकर ही आएगी| इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह माना जा रहा कि इंग्लैंड में 1983 में हुए विश्व कप में भारतीय टीम चैंपियन बनी थी|

इस विश्व कप से पहले लगभग हर मीडिया समूह ने अपने-अपने तरीके से टीम इंडिया के जीत के कारणों को स्पष्ट करने में जी जान लगा दी| एक पत्रिका ने तो जीत के कारणों में सचिन का पूरी तरह से फिट होना बताया| लेकिन सच्चाई यह थी के सचिन फिट नहीं थे लेकिन क्रिकेट का यह उस्ताद वर्ल्ड कप को मिस नहीं करना चाहता था| सचिन अपनी पीठ की जकडन को खत्म करने के लिए अपने होटल रूम के फर्श पर बिना तकिये के सोते थे| 

वर्ल्ड कप के पहले मैच में भारतीय टीम को साउथ अफ्रीका के हाथों हार का सामना करना पड़ा|

लेकिन टीम को लीसेस्टर में ज़िम्बाब्वे के खिलाफ अपना दूसरे मैच में जीत की उम्मीद थी| सचिन मैच की पूर्व शाम को अपने होटल रूम में थे तभी घंटी बजी| उन्‍होंने दरवाजा खोला तो अंजलि को कॉरिडोर में खड़ा पाया| अजय जडेजा और रॉबिन सिंह उनके साथ थे| वह लंदन से लीसेस्‍टर एक  दुखद खबर सचिन को देने के लिए पहुंची थीं| सचिन के पिता, प्रोफेसर, दार्शनिक और कवि रमेश तेंदुलकर का निधन हो गया था| 

सचिन के पिता रमेश ही वह शख्‍स थे जिन्‍होंने सचिन के करियर को ऊंचाई देने के लिए 11 वर्ष की उम्र में उन्‍हें स्‍कूल बदलने की इजाजत दी थी| दिल का दौरा पड़ने से रमेश तेंदुलकर का निधन हो गया था| प्रोफेसर तेंदुलकर पिछले कुछ माह से अस्वस्थ थे और इस दौरान वह अस्‍थायी तौर पर सचिन के पास चले गए थे|

सचिन उस समय साहित्‍य सहवास के अपार्टमेंट से बांद्रा के एक अपार्टमेंट में शिफ्ट हुए थे और अंजलि अपने ससुर (रमेश तेंदुलकर) की देखभाल कर रही थीं| ऐसा लग रहा था कि चीजें धीरे-धीरे ठीक हो रही हैं और सचिन भी कुछ हद तक पिता के स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर निश्चिंत हो चले थे| ऐसे में उनका निधन एक बड़े झटके की तरह था|

सचिन सुबह मुंबई वापस लौटे| अंतिम संस्‍कार में प्रो. तेंदुलकर के मित्र, सहयोगी, पड़ोसी, छात्र और उन्‍हें पिछले कई सालों से जानने वाले लोग शामिल हुए|  सचिन के लिए पिता मानो सब कुछ थे| स्‍वाभाविक रूप से पिता के जाने के बाद उनके लिए जिंदगी पहले जैसी नहीं रह गई थी| सचिन जब मुंबई आए तो भारत के वर्ल्‍डकप जीत की संभावनाओं को और गहरा आघात लगा| टीम जिम्‍बाब्‍वे के खिलाफ अपना अगला मैच तीन रन से हार गई थी|

यह सचिन की मां थी जिन्‍होंने अपने सबसे छोटे बेटे को इंग्‍लैंड लौटकर देश के लिए खेलने के लिए प्रेरित किया| सचिन को इसके लिए रजामंद करना कोई आसान काम नहीं था| बहरहाल टीम के हित को ध्‍यान में रखते हुए सचिन इंग्‍लैंड वापस लौटे| जब वह केन्या के खिलाफ ब्रिस्टल में बल्लेबाज़ी करने मैदान पर उतरे तो वहाँ मौजूद दर्शकों ने खड़े होकर उनका सम्मान किया| 

सचिन ने अपनी इस पारी के दौरान 101 गेंदों में 12 चौको और तीन छक्कों की मदद से 140 रनों की दमदार पारी खेली| सचिन ने उस पारी के दौरान जब अपना शतक पूरा किया और उन्होंने आकाश की तरफ भगवान को धन्यवाद करने के लिए सिर उपर किया तो लोगों का गला भर आया| भारत ने यह मैच 94 रनों से जीता था|

 
 

By Akshit vedyan - 24 Apr, 2018

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