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लक्ष्मण शिवरामकृष्णन के अनुसार रवि शास्त्री 1985 वर्ल्ड चॅंपियनशिप युक्ति का कर रहे हैं इस्तेमाल

लक्ष्मण शिवरामकृष्णन के अनुसार रवि शास्त्री 1985 वर्ल्ड चॅंपियनशिप युक्ति का कर रहे हैं इस्तेमाल

1985 World Series Championship winners - India

टीम इंडिया ने दक्षिण अफ्रीका में 33 साल पुराने फॉर्म्युले से वनडे सीरीज में 5-1 और टी-20 में 2-1 से जीत हासिल की हैं |

1985 में बने फॉर्म्युले के सही इस्तेमाल का श्रेय मौजूदा भारतीय कोच रवि शास्त्री को दिया जाता है, जिसका खुलासा पूर्व भारतीय लेग स्पिनर लक्ष्मण शिवरामकृष्णन ने किया हैं |

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार शिवरामकृष्णन ने बताया हैं कि 1985 वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान हमने वनडे में प्रमुख दो स्पिनर को कम से कम 5 विकेट हासिल करने की योजना बनाई थी, और उस समय यह योजना काफी कारगर भी साबित हुई थी |

उन्होंने कहा कि, "1985 में मेरे पहले वनडे मैच से पहले पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने मुझे और रवि शास्त्री को लंच के लिए बुलाया था | उन्होंने हमसे कहा कि आप दोनों को 20ओवरों में कम से कम 5 विकेट लेने होंगे | सिर्फ इतना ही नहीं, कप्तान गावस्कर ने मुझ से यह भी कहा कि अगर 10 ओवर में 50 से अधिक रन खर्च हो जाते हैं, तो हो जाने देना | उन्हें मुझ से किसी भी हालत में 2 से 3 विकेट तो किये ही थे | और अब मौजूदा समय में रवि शास्त्री ने उसी योजना का कोच के रूप में इस्तेमाल किया है |"

विष कप-2019 के बारे भारत की संभावनाओं के बारे में उन्होंने कहा कि, "फिंगर स्पिनर रनों की गति को रोकते हैं | लेकिन उन्हें कलाई के स्पिनरों की तरह बाउंस नहीं मिलता हैं | मेरे हिसाब से कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल को प्लेइंग इलेवन में रखने का विचार बहुत सही रहेगा | ये कलाई वाले स्पिनर बिना गेंद को बिना गति दिए ही टर्न कराने में सक्षम होते हैं | इन पर फिंगर स्पिनर की तरह शॉट नहीं लगाया जा सकता |"

उन्होंने आगे बताया कि फिंगर स्पिनर जैसे कि रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा की  वनडे और T20 में वापसी करना कठिन हैं | उन्होंने कहा कि,  "इन प्रारूपों में इनकी वापसी आसान नहीं होगी | टीम प्रबंधन जैसा चाहते है वे वैसा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं | इनकी गेंदबाज़ी की रफ्तार भी अधिक होती है, जिससे कि बल्लेबाज़ आसानी से शॉट लगा लेते हैं | जडेजा और अश्विन की गेंदों की रफ्तार जहां 90 किमी प्रतिघंटा होती है वहीं, कुलदीप और चहल की गेंदों की रफ्तार औसतन 75 से 80 किमी प्रतिघंटा होती हैं |"

उनके अनुसार आधुनिक तकनीक भारतीय गेंदबाजों को सुधारने में मदद कर सकती है और कहा कि, "अगर हमारी कार्रवाई में कोई तकनीकी दोष था तो पहचानने के लिए कुछ भी नहीं था | आपका मार्गदर्शन करने के लिए कोई वीडियो विश्लेषक या इतने प्रशिक्षित प्रशिक्षक नहीं थे, लेकिन अब क्रिकेट का रूप बदल गया है | यदि कोई गेंदबाज सुधार करना चाहता है, तो आपकी कमियों पर काम करने के लिए तकनीकी सहायता की कोई कमी नहीं है | उदाहरण के लिए, चहल के पास एक अच्छा लेग ब्रेक, गुगली और एक फ्लिपर है | विकेट से उस अतिरिक्त बाउंस और गति को पाने के लिए उन्हें स्टॉप स्पिन में माहिर होना होगा, जिससे कि वह भी एक बेहतर गेंदबाज बन सके |"

उन्होंने आगे कहा कि जब मैंने धर्मशाला में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कुलदीप यादव को उनकी डेब्यू कैप दी थी तो मैंने उनसे कहा था कि, 'मैं भारत के लिए 4 साल ही खेल पाया, लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम 14 साल देश के लिए खेलो |"

साथ ही उन्होंने चहल की तारीफ करते हुए कहा कि, "मेरा मानना है कि चहल भी अब टेस्ट खेलने के लिए पूरी तरह से तैयार है | हमारा स्पिन विभाग अब अच्छी तरह से वर्गीकृत दिखाई दे रहा हैं |"  

 
 

By Pooja Soni - 28 Feb, 2018

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