यू-19 विश्वकप की विजेता टीम के अर्शदीप सिंह बीसीसीआई यू-23 वनडे लीग क्वार्टर फाइनल में पंजाब के लिए खेलेंगे

तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह, जिहोने न्यूजीलैंड में यू-19 विश्वकप में दो मैचों में खेलते हुए तीन विकेट हासिल किये हैं, 9 फरवरी को कानपुर में होने वाले बीसीसीआई यू-23 वनडे लीग क्वार्टर फाइनल में पंजाब के लिए खेलेंगे | 
 
इंडियन एक्सपरी की रिपोर्ट के अनुसार अर्शदीप ने कहा हैं कि, "यू -19 विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा बन बहुत अच्छा लग रहा है | हालांकि मुझे दो मैचों में गेंदबाज़ी करने का मौका मिला, जो कि मेरे लिए एक यादगार पल रहेगा | कप्तान पृथ्वी शॉ और कोच राहुल द्रविड़ के नेतृत्व में खेलना, मेरे लिए एक सपने के सच होने की तरह था |" 

उन्होंने आगे कहा कि, "जब मैं खेल नहीं रहा था, तब मैंने नेट पर पृथ्वी और शुभमन गिल को गेंदबाज़ी की हैं और राहुल सर ने हमेशा मुझे धीरज रखने के लिए कहा था | उन्हें सुनना और योजनाओं को निष्पादित करने के तरीके को समझने से, मेरा आत्मविश्वास बहुत अधिक बढ़ा हैं | एकमात्र ऐसी चीज जिससे मैं नहीं डरा था, वो हैं टीम की बैठकों में अंग्रेजी बोलना |"

अर्शदीप, जिनके पिता, 53 वर्षीय दर्शन सिंह डीसीएम के साथ रोपर में  एक मुख्य सुरक्षा अधिकारी हैं, ने पांच साल पहले गुरु नानक पब्लिक स्कूल में कोच जसवंत राय के नेतृत्व में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था और वीनू मांकड़ ट्रॉफी में पंजाब के लिए 13 विकेट लेने के अलावा, पंजाब  इंटर-डिस्ट्रिक्ट एकदिवसीय चैम्पियनशिप में पांच मैचों में 19 विकेट के शानदार प्रदर्शन के साथ वापसी की |
 
यू19 विश्वकप में अर्शदीप की गेंदबाजी के साथ ही उनके साथी खिलाडी कमलेश नागरकोटी और शिवम मावी की भी गेंदबाज़ी देखी गई | तेज़ गेंदबाज़ ने बताया कि, "विश्व कप से पहले, मैंने मलेशिया में यूथ एशिया कप में खेला था और जिसने खेल में मेरी मदद की | नागरकोटी और मावी ने विश्व कप में 145 किलोमीटर से भी अधिक रफ़्तार में गेंदबाजी की थी और हम ने न्यूजीलैंड की पिचों पर गेंदबाजी के बारे में चर्चाभी की थी | हमारे गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे सर ने भी मेरी बहुत मदद की हैं | मैंने ऑस्ट्रेलियाई कोच और पूर्व तेज गेंदबाज रेयान हैरिस से भी मुलाकात की थी, जो कि एक यादगार अनुभव था | हम यू -23 लीग में क्वार्टर फाइनल तक पहुंच चुके हैं और मेरा लक्ष्य पंजाब को खिताब जीतने में मदद करना हैं |"

अर्शदीप के पिता दर्शन सिंह ने बताया कि, "जब मैं सीआईएसएफ के साथ चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री की सुरक्षा के हिस्से के तौर पर तैनात किया गया था, तब मैंने अरशदीप की क्रिकेट में रुचि देखी थी |बाद में, जब वह मैचों के लिए यात्रा करने लगा, तो मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी, क्योंकि सीआईएसएफ  एक स्थानांतरणीय नौकरी थी और मैं रोपर में एक निजी कंपनी में शामिल हो गया, जिसका मतलब ये था कि मैं घरमें ही रहूंगा | कल उसका जन्मदिन था और उसने अपने साथियों और कोचों के साथ इसे मनाया | विश्व कप का मेडल ही हमारे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है | उसका भाई भाई आकाशदीप, जो कनाडा में पढ़ाई कर रहा हैं और बहन गुरलीन कौर, वो भी उसके मैचों को फॉलो करती हैं |"


 

 
 

By Pooja Soni - 07 Feb, 2018

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