अजिंक्या रहने ने बतया कि कैसे वांडरर्स की चुनौतीपूर्ण पिच ने उनके प्रेरणा स्तर को बढ़ाया

पहले दो टेस्ट से बाहर बैठने के बाद,अजिंक्या रहाणे को दक्षिण अफ्रीका से एक अभूतपूर्व व्हाइटवॉश से बचने के लिए भारत की जीत में योगदान देने के लिए तीसरे टेस्ट के लिए उन्हें टीम में शामिल किया गया |

उन्होंने सबकी उम्मीदों पर कड़ा उतरते हुए संभवतः सबसे कठिन पिच पर 48 रन बनाये और उन्होंने कप्तान विराट कोहली और भुवनेश्वर कुमार के साथ दो महत्वपूर्ण साझेदारी निभाई | हिन्दुस्तन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार रहाणे ने कहा कि, "यह निश्चित रूप से मेरे लिए एक महत्वपूर्ण पारी है | इस मैच से पहले मैं बहुत प्रेरित था | जब आपको एक मौका मिलता है और फिर आपको इस तरह की पिच मिलती है, तो हमेशा ही आपका प्रेरणा स्तर बढ़ जाता है | जब मैं बल्लेबाजी करने के लिए गया था, यह मेरे लिए बेहद ही महत्वपूर्ण था, क्योंकि मैं मैं बहुत ही आरामदायक हो दवाब में नहीं था |"
 
उन्होंने बताया कि, "और स्थिति ऐसी थी, हम 4 विकेट के नुक्सान पर 100 पर थे | तब मैं सोच रहा था कि अगर हम यहां से 70-80 रन और बना लेते हैं, तो उनके लिए यह बहुत मुश्किल हो जायेगा | और फिर 240 रन बना लेना अंततः बहुत ही अच्छा था | लेकिन व्यक्तिगत रूप से, मैंने वास्तव में दृण था और अच्छी तरह से करने के लिए प्रेरित भी था | संभवतः मैंने सभी पिचों पर खेला है, जिनमे से ये पिच  सबसे चुनौतीपूर्ण थी |"

यह पूछे जाने पर कि वह इस तरह के सकारात्मक इरादों के साथ कैसे बाहर आये खासकर की जब  लगातार दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाजों द्वारा बल्लेबाजों पर आक्रमण किया जा रहा था, तो उन्होंने कहा कि, "जब मैं ड्रेसिंग रूम में बैठा था, तब मैं देख रहा था | मैं सोच रहा था कि मेरा दृष्टिकोण क्या होगा, क्योंकि इस विकेट पर केवल लम्बे समेत तक बने रहना ही काफी नहीं हैं, क्योंकि हम रन बनाना चाहते थे और हम सोच रहे थे कि क्या हमें 170-180 मिल जाएंगे, जो इस ट्रैक पर अच्छा होगा |"

" मैं वास्तव में पिछली रात से सोच रहा था कि इस विकेट पर महत्वपूर्ण शॉट्स क्या हैं और अगर मैं अपनी बल्लेबाजी आक्रामक होकर करता हु, तो मैं दक्षिण अफ्रीका को बैकफुट पर ला सकता हु, क्योंकि वे अपनी गेंदबाजी से हम पर हावी हो रहे थे | अगर गेंद को मरने कि बात करे तो, मैं सिर्फ आक्रामक होने के बारे में सोच रहा था | तो मैं अपना शॉट खेलूँगा और बस यही मैं करना चाहता हु |"

रहाणे ने बताया कि, "मैदान से बाहर मेरा व्यवहार मेरी बल्लेबाजी से अलग है, क्योंकि विरोधी कभी-कभी यह देखते है कि आप मैदान के बाहर कितने आक्रामक हैं | मैं स्थिति के अनुसार बल्लेबाज़ी करने की कोशिश करता हूं | यह मेरे लिए एक अवसर था, क्योंकि मैंने सोचा कि अगर मैं यहां प्रदर्शन करता हूं, तो मैं एक नायक बनूंगा | इसलिए मेरी सोच पूरी तरह से सकारात्मक थी और इस विकेट पर भी 30-40 रन बनाना बहुत अच्छा होगा |"

उन्होंने आगे बताया कि, "मेरा खेल, यहां तक ​​कि धर्मशाला में भी मैंने जैसा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अंतिम टेस्ट खेला था, मेरे इरादे  दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजी पर हावी होना था | विजय और विराट ने मुश्किल से बल्लेबाजी की, इसलिए मेरे लिए यह आसान था, इसलिए मेरा ध्यान था कि जब भी गेंद को मैं मारु, तो मैं कुछ रु ले सकू | मैं बिल्कुल भी यत्न होने के बारे में नहीं सोच रहा था | लेकिन रन बनाने के बारे में सोच रहा था | मैं केवल सोच रहा था कि मुझे कौन-सा शॉट चाहिए और मैं इसे कैसे खेल सकता हु | जितना संभव हो सके, मैं अपने मजबूत स्कोर पर ध्यान केंद्रित कर रहा था |"

 
 

By Pooja Soni - 27 Jan, 2018

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